अमेरिका ने रोका म्यांमार से व्यापार समझौता
३० मार्च २०२१अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाई ने एक बयान में कहा, "बर्मा के लोगों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की बहाली की कोशिशों का अमेरिका समर्थन करता है. बर्मा के सुरक्षाबलों द्वारा नागरिकों के खिलाफ किए जा रही बर्बर हिंसा की भर्त्सना करता है. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों, छात्रों, श्रमिकों, श्रमिक नेताओं, स्वास्थ्य-कर्मियों और बच्चों की हत्याओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जमीर को झकझोर कर रख दिया है."
टाई के दफ्तर ने कहा कि अमेरिका तुरंत "2013 के व्यापार और निवेश फ्रेमवर्क समझौते के तहत बर्मा से हर तरह के व्यापार पर रोक लगा रहा है." इस समझौते के तहत दोनों देश व्यापार और निवेश के मोर्चों पर एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे थे ताकि म्यांमार को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ा जा सके. यह समझौता कुछ समय पहले देश को लोकतंत्र की तरफ लौटने की अनुमति देने के सेना के फैसले का पुरस्कार था, लेकिन इस प्रक्रिया को पिछले महीने के सैन्य तख्तापलट ने अचानक रोक दिया.
इस घोषणा का यह मतलब नहीं है कि दोनों देशों के बीच व्यापार पूरी तरह से रुक जाएगा, लेकिन अमेरिका म्यांमार पर अलग से आर्थिक प्रतिबंध भी लगा रहा है. उदाहरण के तौर पर अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही म्यांमार के सेना के नियंत्रण वाली कंपनियों के दो समूहों पर प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका के ताजा कदमों पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा है कि बर्मा पर निर्यात प्रतिबंध भी लगा दिए गए हैं और व्यापारिक ब्लैकलिस्ट में कई देश के कई कंपनियों को जोड़ दिया है.
उन्होंने कहा, "हमने हमारी मित्रों, साझेदारों और हमारी सोच से मेल खाने वाली सोच वाली संस्थानों के साथ काम करना जारी रखा हुआ है. हम साथ साथ सेना के कदमों की भर्त्सना कर रहे हैं, लोकतंत्र की तुरंत बहाली की मांग कर रहे हैं और सत्ता को जबरन हथियाने वालों की जवाबदेही तय करने की भी मांग कर रहे हैं." वैसे दोनों देशों के बीच कुछ खास व्यापार होता नहीं है. पिछले साल म्यांमार अमेरिका का गाड़ियों और मशीनों जैसे सामान के व्यापार में 84वां सबसे बड़ा साझेदार था.
म्यांमार में अमेरिका ने बस 338 मिलियन डॉलर मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया और वहां से एक बिलियन डॉलर मूल्य के सामान का आयात किया. लेकिन अमेरिका और दूसरे अमीर देश म्यांमार की फैक्टरियों में बनने वाले कपड़ों और घर की जरूरत की चीजों का बड़े पैमाने पर आयात करते हैं. इनमें से अधिकांश फैक्टरियां दूसरे देशों की कंपनियों की हैं, जिन्होंने ने देश की पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण का नेतृत्व किया है और लाखों लोगों को नौकरियां दी हैं.
इस बीच म्यांमार में सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों के हिंसक दमन की वजह से मारे जाने वाले लोगों की संख्या 500 के पार चली गई है. बीते सप्ताहांत में 100 से भी ज्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटेरेश ने सेना पर दबाव बनाने के लिए एक संयुक्त वैश्विक मोर्चा बनाने का प्रस्ताव दिया है.
सीके/एए (एपी, एएफपी)