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म्यांमार से भारत भाग कर आए छह सांसद

९ अप्रैल २०२१

म्यांमार से सिर्फ आम लोग और पुलिस वाले ही नहीं, सांसद भी सीमा पार कर भारत की शरण में आ गए हैं. इनमें से अधिकतर सांसदों ने मिजोराम में शरण ली है, जिसकी सीमा म्यांमार से सटी हुई है.

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Myanmar Sicherheitskräfte gehen mit Gewalt gegen die Demonstranten in Yangon vor / SPERRFRIST beachten!
तस्वीर: Min Htet San

सांसदों के भारत चले जाने की जानकारी म्यांमार की सेना द्वारा हटा दी गई सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था के सलाहकार ने दी. सीआरपीएच नाम की इस समिति के इस सलाहकार ने अपना नाम गुप्त रखने के अनुरोध पर बताया कि सांसदों को डर था कि कई और जन-प्रतिनिधियों की तरह सेना उन्हें भी हिरासत में ले लेगी.

एक भारतीय पुलिस अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है और कहा है कि फरवरी के बाद से इन सांसदों समेत करीब 1800 लोग म्यांमार की सीमा पार कर भारत आ चुके हैं. इनमें से अधिकांश ने पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में शरण ली हुई है. सांसद म्यांमार के चिन और सगैंग प्रांतों से हैं और राष्ट्रीय और प्रांतीय विधायिकाओं के सदस्य हैं. सलाहकार ने बताया कि सभी सांसद नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के सदस्य हैं, जिसने नवंबर 2020 के चुनावों में जीत दर्ज की थी.

यह वही चुनाव हैं जिनके नतीजों को सेना विवादित बताती है. सलाहकार का कहना है, "इस समय म्यांमार में सांसद बड़े खतरे में हैं. उनकी तलाशी ली जा रही है और सैनिक उनका पीछा भी कर रहे हैं." भारत में इन सांसदों की मौजूदगी देश के लिए एक कूटनीतिक समस्या बन सकती है. ऐतिहासिक रूप से भारत सरकार के म्यांमार सेना के साथ करीबी रिश्ते रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में नई दिल्ली ने म्यांमार में हो रही हिंसा के खिलाफ बोला है.

Indien | Mizoram Myanmar influx
मिजोरम के जो समुदाय द्वारा म्यांमार के चिन समुदाय के लोगों के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं.तस्वीर: Zo reunification organization

इन सांसदों के बारे में जब भारत के विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उनके पास इस विषय में साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है. गुरुवार आठ अप्रैल को उन्होंने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "मैं दोहराना चाहूंगा कि हम म्यांमार में हो रही हिंसा की निंदा करते हैं और लोकतंत्र की बहाली का समर्थन करते हैं."

असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पोलिटिकल प्रिजनर्स एक्टिविस्ट समूह के मुताबिक, तख्तापलट के बाद से सेना ने हजारों लोगों को हिरासत में रखा हुआ है, जिनमें 150 से ज्यादा हटाई हुई सरकार और संसद के सदस्य हैं. तख्तापलट के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें करीब 600 लोग मारे जा चुके हैं. सेना के प्रवक्ता से इस पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है.

सीआरपीएच समिति के सलाहकार ने पूर्वोत्तर भारत के एक गुप्त स्थान से वीडियो कॉल पर बताया, "एनएलडी के सांसदों को अपने इलाकों और अपने घरों को छोड़ कर भागना पड़ा." शुरू में म्यांमार से मिजोरम भाग कर आने वालों में सिर्फ विद्रोह कर चुके पुलिस वाले और उनके परिवार के सदस्य ही थे, लेकिन अब इनमें आम नागरिक भी शामिल हो रहे हैं.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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