म्यांमार में खूनी संघर्ष जारी, यूएन ने की निंदा
२ अप्रैल २०२१संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गुरुवार को सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में सैकड़ों नागरिकों की मौत और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की. सुरक्षा परिषद ने वहां की "बिगड़ती स्थिति" पर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है. हालांकि, चीन ने अपने निंदा प्रस्ताव में कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने से परहेज किया है. सुरक्षा परिषद ने अपने बयान में कहा, "हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल के इस्तेमाल और महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोगों की हत्या की निंदा करते हैं." बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन सेव द चिल्ड्रेन के मुताबिक तख्तापलट के बाद से अब तक 43 बच्चों की मौत हो चुकी है. तख्तापलट के खिलाफ और देश में लोकतंत्र की बहाली को लेकर आम नागरिक, छात्र, शिक्षक और अधिकार कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. आरोप है कि कई बार सेना उन पर सीधी फायरिंग करती है.
तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन पर क्रूर कार्रवाई
1 फरवरी को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और देश की नेता आंग सान सू की के सत्ता से बाहर होने के बाद से म्यांमार की सैन्य टुकड़ी को रोजाना सार्वजनिक रूप से आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सैन्य अभियान की कड़ी निंदा की है, लेकिन म्यांमार में स्थिरता के महत्व पर जोर देते हुए चीन बहुत सतर्क बना हुआ है. बुधवार को सुरक्षा परिषद के एक बंद दरवाजे की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने म्यांमार को चेतावनी दी कि देश में भीषण गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा, "अगर हम उनसे बातचीत के लिए सहमत होने की प्रतीक्षा करते हैं, तो न केवल जमीन पर स्थिति बिगड़ जाएगी, बल्कि रक्तपात का खतरा भी है."
2020 के नवंबर में हुए चुनाव को लेकर सेना संतुष्ट नहीं थी और वह चुनाव में धोखाधड़ी का मुद्दा उठा रही थी. हालांकि म्यांमार के राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने सेना की ओर से लगाए गए चुनावों में धोखाधड़ी होने के आरोपों से इनकार कर दिया था. सू ची की पार्टी ने चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी.
सेना की कार्रवाई के बाद से यूरोपीय संघ और अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. पिछले दिनों यूरोपीय संघ ने म्यांमार में हुए तख्तापलट में शामिल 11 लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था तो वहीं अमेरिका ने म्यांमार के साथ एक अहम व्यापार समझौते पर रोक लगाई थी.
एए/सीके (एपी, एएफपी)