कोरोना की वजह से टूट रहे हैं बॉलीवुड के सपने
१ मई २०२०भारत के फिल्म उद्योग को महामारी के असर से बाहर निकलने में कम से कम दो साल लगेंगे. ये निष्कर्ष बॉलीवुड के लगभग दर्जन भर सबसे बड़े निर्माताओं, डिस्ट्रीब्यूटरों और अभिनेताओं द्वारा किए गए एक आंतरिक आकलन में सामने आया है. आकलन इसी सप्ताह इन लोगों की एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित बैठक में निकल कर आया. कई एक्शन फिल्में बनाने वाले एक फिल्म निर्माता ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया, "फिल्में बनाना हमेशा से एक जुआ रहा है और अब तो हालात ऐसे हैं कि हम में से कुछ को अगले साल तक के लिए पैक-अप कर लेना चाहिए. हमें लोगों से सिनेमा घरों में आने के लिए भीख मांगनी पड़ेगी."
तालाबंदी के खत्म हो जाने के बाद के इस तरह के निराशापूर्ण पूर्वानुमानों से बॉक्स ऑफिस की कमाई को एक बड़ा झटका लगा है. बॉक्स ऑफिस की कमाई पूरे उद्योग की कमाई के 60 प्रतिशत के बराबर होती है. ये सब देख कर निर्माताओं का कहना है कि उन्हें बड़े बजट वाली फिल्में और विदेशों में होने वाले खर्चीले शूट बंद करने पड़ेंगे. एकाउंटिंग कंपनी डेलॉइट इंडिया में पार्टनर जेहिल ठक्कर कहते हैं, "फिल्मों के लिए ये एक मुश्किल वक्त रहेगा. मुझे लगता है तालाबंदी हटने के बाद भी कई लोग भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना ही पसंद करेंगे."
तालाबंदी की वजह से बॉलीवुड ठप्प पड़ा है. लगभग 9,500 थिएटर बंद हैं और ऐसा लग रहा है कि एक स्क्रीन वाले सिनेमा घर हों या मल्टीप्लेक्स हर जगह व्यापार फिर से शुरू होने में कई हफ्ते या कई महीने भी लग सकते हैं. निवेश कंपनी एलोरा कैपिटल के एनालिस्ट करण तौरानी के अनुसार, "ऐसा मुमकिन है कि देशव्यापी स्तर पर सिनेमा घर जून के मध्य से पहले ना खुले और सामान्य ऑक्यूपेंसी तो हो सकता है अगस्त तक ना लौटे." तौरानी ने यह भी कहा कि दर्शकों को आकर्षित करने के लिए टिकटों के दाम घटाने की भी जरूरत पड़ सकती है.
आंकड़े बताते हैं कि भारत में अमूमन हर साल 1200 फिल्में बनती हैं. तौरानी कहते हैं कि हो सकता है कि बड़े बजट वाली फिल्में अगले वित्त वर्ष तक स्थगित कर दी जाएं, क्योंकि इस समय प्रोडक्शन घरानों को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के तौर पर फिल्म-निर्माता रोहित शेट्टी की "सूर्यवंशी" को मार्च के मध्य में रिलीज किया जाना था लेकिन अब इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.
बॉलीवुड की फिल्मों को ट्रैक करने वाली कंपनी औरमैक्स के शैलेश कपूर कहते हैं, "ऐसा मुमकिन है कि सिनेमा घरों के दोबारा खुलने के बाद सिर्फ छोटी फिल्में रिलीज हों, ताकि निर्माताओं को एक अंदाजा मिल सके कि कितने लोग फिल्में देखने आ रहे हैं." लेकिन इस तरह की भी स्थिति कम से कम मई के मध्य तक तो नजर नहीं आती. एनालिस्ट गिरीश जोहर का अनुमान है कि तालाबंदी की इस अवधि में फिल्म उद्योग ने 13 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा की संभावित कमाई गंवा दी है.
देश की दो सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स कंपनियों पीवीआर और आइनॉक्स लेजर के शेयर फरवरी में अभी तक के सबसे ऊंचे स्तर पर थे लेकिन अब 40 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुके हैं. सिनेमा घरों के मालिकों को डर है कि भविष्य में उन्हें दर्शकों के नामों और पतों का रिकॉर्ड रखना पड़ेगा, उनके शरीर का तापमान चेक करना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा और मास्क का इस्तेमाल करना होगा, और इन सब से उनका खर्च बढ़ जाएगा और दर्शकों की परेशानी भी.
मोटी कमाई करने वाले अभिनेता और निर्देशक तो अपनी बचत के दम पर शायद ये समय निकाल ले, लेकिन सबसे बड़ा नुक्सान उन एक्स्ट्रा, बैकग्राउंड डांसर, स्टेज लगाने वाले और टेक्नीशियन लोगों का होगा जो दिहाड़ी पर या प्रोजेक्ट दर प्रोजेक्ट काम करते हैं. टी-सीरीज के मार्केटिंग विभाग के प्रमुख विनोद भानुशाली कहते हैं, "हमारे लिए तो अभी हालत खराब हैं ही, पर सबसे ज्यादा खराब उन लोगों के लिए हैं जो हमारी फिल्मों पर दिहाड़ी पर काम करते हैं." इस समय टी-सीरीज की 12 फिल्में अटकी हुई हैं.
मुंबई जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का घर है इस समय भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का भी केंद्र बना हुआ है और इसकी वजह से विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बॉलीवुड के लिए कई सालों में अगले कुछ दिन सबसे बुरा हो सकते हैं.
सीके/एए (रायटर्स)
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