क्यों फिल्मी सितारों ने घर बैठे बनाई एक अनूठी फिल्म?
७ अप्रैल २०२०तालाबंदी के बीच आवश्यक चीजें बनाने वाले उद्योगों के अलावा बाकी सब उद्योग बंद पड़े हैं. यही हाल फिल्म उद्योग का भी है. इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन ने 15 मार्च को ही घोषणा कर दी थी कि सभी फिल्मों, टीवी सीरियलों और वेब सीरीज की शूटिंग पर 19 मार्च से 31 मार्च तक बैन रहेगा. तब से शूटिंग बंद है. सिनेमा घर भी बंद हैं, इसलिए जो फिल्में बन कर तैयार थीं उनकी रिलीज टाल दी गई है. टीवी पर या तो सीरियलों के पुराने एपिसोड दिखाए जा रहे हैं या रामायण जैसे पुराने सीरियलों को ही वापस लाया जा रहा है.
इस बीच इस उद्योग से जुड़े बड़े अभिनेताओं, निर्माताओं और निर्देशकों की कमाई तो बंद है लेकिन वो लोग फिर भी उन हालात से नहीं गुजर रहे होंगे जिनसे फिल्मों और टीवी सीरियलों के बनने में एक बड़ी भूमिका निभाने वाले दिहाड़ी श्रमिक गुजर रहे हैं. भारत में फिल्मों की शूटिंग में लाइटमैन, स्पॉट बॉय, सेट लगाने वाले, जूनियर कलाकार, कैमरा और अन्य उपकरणों की देख रेख करने वाले, दर्जी और सभी तरह के छोटे मोटे काम करने वाले लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं. अनुमान है कि इनकी संख्या पांच लाख से भी ज्यादा है.
शूटिंग बंद होने के बाद से हिंदी फिल्म जगत के कई लोगों ने इन दिहाड़ी श्रमिकों के लिए मदद की घोषणा की है. सोमवार को सोनी टीवी इनके लिए एक अनूठी पहल ले कर आया, एक ऐसी शॉर्ट फिल्म के रूप में जो तालाबंदी के दौरान कुछ इस तरह से बनी है कि उससे जुड़े लोगों को अपने अपने घरों से बाहर निकलने की जरा भी जरूरत नहीं पड़ी. चार मिनट 35 सेकंड की इस फिल्म में हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी और बांग्ला फिल्मों की कई नामी हस्तियों ने अभिनय किया है. इनमें शामिल हैं अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट, चिरंजीवी, मोहनलाल, ममूटी, सोनाली कुलकर्णी, प्रोसेनजीत चटर्जी, शिवा राजकुमार और दिलजीत दोसांझ.
इसे सभी कलाकारों ने अपने अपने घरों में ही शूट किया है और बाद में एडिटिंग के जरिये सभी रिकॉर्डिंग्स को एक साथ मिला कर फिल्म बना दी गई है.
इस शॉर्ट फिल्म के जरिए दो संदेश देने की कोशिश की गई है. पहला संदेश है कि सब तालाबंदी का समर्थन करें और अपने अपने घरों में ही रहें क्योंकि कोविड-19 से घर पर रह कर ही लड़ा जा सकता है. दूसरा संदेश है कि पूरा फिल्म जगत संकट की इस घड़ी में फिल्मों को बनाने वाले दिहाड़ी श्रमिकों के पीछे एक परिवार की तरह खड़ा है. पूरे उद्योग ने मिलकर इन श्रमिकों के लिए कुछ धनराशि जमा की है और उससे इनकी मदद की जाएगी.
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