'ओसामा की मौत पर जवाब दे अमेरिका'
६ मई २०११आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान मानवाधिकारों को लेकर काम करने वाली यूएन की मानवाधिकार संस्था ने अमेरिका से एबटाबाद ऑपरेशन के बारे में तथ्य मांगे हैं. इस संबंध में जांचकर्ता नियुक्त किए गए हैं. जांचकर्ताओं के साथ जारी किए गए एक साझा बयान में कहा गया है, ''हाल में ओसामा बिन लादेन के मामले में घातक बल के इस्तेमाल के बारे में अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय मानावाधिकार कानूनों के मानकों के आधार पर तथ्य मुहैया कराने चाहिए ताकि इसकी समीक्षा हो सके. यह जानना बहुत जरूरी है कि क्या मिशन की योजना बनाते समय बिन लादेन को पकड़ने की कोशिश की गई.''
संयुक्त बयान में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ ने कहा, ''हालांकि नियम यह होना चाहिए कि आतंकवादियों को अपराधी मानकर कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार किया जाए, मुकदमा चले और अदालत सजा का फैसला करे.''
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मामलों की प्रमुख नवी पिल्लई ने भी मामले को रोशनी में लाए जाने की मांग की है. पिल्लई के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत ही होनी चाहिए. शुक्रवार को पिल्लई की प्रवक्ता रुपर्ट कोलविले ने कहा, ''आखिर वाकई में क्या हुआ, हमने इस संबंध में सवाल उठाया है. इस वक्त ज्यादा सूचनाओं की जरूरत है.''
अमेरिका मान चुका है कि सैन्य कार्रवाई के वक्त ओसामा बिन लादेन निहत्था था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि बिन लादेन को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. आखिर क्या ऐसी वजह थी कि उसे खत्म कर दिया गया. अमेरिकी खुफिया विभाग के प्रमुख लियोन पैनेटा के मुताबिक, ''साफ कहूं तो उस वक्त ऐसे हालात ही नहीं थे कि लादेन अपनी कोई मांग रख पाता. ऑपरेशन के दौरान वहां कुछ ऐसी हलचलें हो रही थीं जिनसे हमारे लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी.''
इन रिपोर्टें सामने आने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता बिन लादेन को मारने पर सवाल उठा रहे हैं. जांचकर्ताओं के मुताबिक ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी बाहर आनी चाहिए. जांचकर्ता इस केस की रिपोर्ट 47 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति को देंगे. अमेरिका भी इसका सदस्य है. बिन लादेन को अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के एबटाबाद में एक अभियान के दौरान मार गिराया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा