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समाज

चीन में फंसे हैं कई पाकिस्तानी छात्र

१७ फ़रवरी २०२०

कराची में सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए लोगों ने पाकिस्तान सरकार से चीन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए आग्रह किया है. चीन में कोरोना वायरस की वजह से 1500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

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Pakistan
तस्वीर: DW/R. Saeed

पाकिस्तान के कई छात्र शिक्षा के लिए चीन जाते हैं और कोरोना वायरस के फैलने के बाद पाकिस्तान सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. ऐसे में अभिभावक परेशान हैं.

चीन में कोरोना वायरस से प्रभावित वुहान प्रांत में फंसे पाकिस्तानी छात्रों को निकालने पर सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. कोरोना वायरस से चीन का वुहान सबसे अधिक प्रभावित है और वहां पाकिस्तान के एक हजार से अधिक छात्र फंसे हुए हैं. पाकिस्तान के स्वास्थ्य राज्य मंत्री जफर मिर्जा ने ट्विटर पर लिखा कि वह और सरकार के दूसरे मंत्री अभिभावकों के साथ बुधवार को बैठक करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार छात्रों की देखभाल के लिए चीनी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है.

कई छात्रों और उनके परिवार में चीन में कोरोना वायरस से बढ़ती मौतों के बाद निराशा बढ़ती जा रही है. इन परिवारों ने पड़ोसी देश भारत और बांग्लादेश का उदाहरण दिया कि वहां की सरकारें अपने नागरिकों को निकाल रही है. एक प्रदर्शनकारी ने पत्रकारों से रोते हुए कहा, "खुदा का वास्ता है, हमारी सरकार के प्रतिनिधियों से गुजारिश है कि हमारे बच्चों को वापस लाएं. सरकार को एक मां की बात सुननी चाहिए."

China | Coronavirus
तस्वीर: picture-alliance/dpa/XinHua/Z. Yuwei

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए "हमारे बच्चों को वापस लाओ" के नारे लगाए. उनके हाथों में बैनर थे जिनमें सरकार से बच्चों को वापस लाने को लेकर नारे लिखे हुए थे. इससे पहले भी दर्जन भर परिवारों ने लाहौर में चीनी कांसुलेट के बाहर प्रदर्शन किया था. मिर्जा ने ट्विटर पर लिखा कि छह पाकिस्तानी छात्रों में वायरस की पुष्टि हुई थी और वह पूरी तरह से ठीक हो गए हैं और एक का इलाज जारी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से छात्रों ने कहा कि वे चीन छोड़कर वापस लौटना चाहते हैं.

वुहान में फंसे छात्र मीर हसन के पिता की पिछले दिनों मौत हो गई थी. सरकार ने हसन की चीन से निकालने की गुहार खारिज कर दी थी. वे अपनी मां के साथ दुख की इस घड़ी में रहना चाहते थे. रॉयटर्स को हसन ने बताया, "मां भी चाहती है कि मैं वापस लौट आऊं, दुर्भाग्य से, मुझे पता नहीं है कि मैं घर वापस कब जाऊंगा और कब अपनी मां को देखूंगा."

वुहान में पीएचडी के छात्र साहिल हसन ने कहा कि उन्हें पीएचडी की स्कॉलरशिप लेने में परेशानी आ रही है. जिस वजह से वह भोजन और पानी खरीदने में असमर्थ हैं.

वहीं दूसरी ओर वुहान से दिल्ली लाए गए 406 लोगों से लिए गए अंतिम नमूने की रिपोर्ट निगेटिव आई है. इसके बाद छावला स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) परिसर में बने आइसोलेशन केंद्र से लोगों को घर भेजने का काम शुरू हो रहा है. गौरतलब है कि आईटीबीपी के आइसोलेशन केंद्र में मालदीव के सात लोग भी हैं. सभी लोगों को फरवरी के पहले हफ्ते में भारत वापस लाया गया था. भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन सभी लोगों के लिए जरूरी सलाह जारी की है. मंत्रालय ने इन्हें भीड़भाड़ वाले इलाके से बचने को कहा है साथ ही इन्हें छुट्टी मिलने के 14 दिन बाद दोबारा जांच कराने को कहा है.

एए/एनआर (रॉयटर्स)

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