कोरोना वायरस से सोशल मीडिया पर फेक न्यूज की बाढ़!
१४ फ़रवरी २०२०कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अधूरी जानकारी और गलत सलाह इस महामारी के प्रकोप को और अधिक बढ़ा सकती है. यह दावा एक शोध में किया गया है. चीन में कोरोना वायरस फैलने और उसके कारण होने वाली मौतों के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की जानकारी और सलाह साझा की जा रही हैं, जिनमें जानकारी या तो अधूरी है या फिर गलत है. ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिला (यूएई) के वैज्ञानिकों ने एक विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने यह जानना चाहा कि गलत सूचना का प्रसार कैसे बीमारी के फैलने को प्रभावित करता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के किसी भी सफल प्रयास से लोगों की जान बचाई जा सकती है.
शोध के सह-लेखक और यूएई के प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं, "जहां तक कोविड-19 (कोरोना वायरस) की बात है, इसको लेकर इंटरनेट पर प्रसारित होने वाली कई अटकलें, गलत सूचना और फर्जी खबरें हैं कि वायरस कैसे पैदा हुआ, क्या कारण है और यह कैसे फैलता है?” विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को कोविड-19 नाम दिया है. शोध के सह-लेखक और यूएई के प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं, "जहां तक कोविड-19 की बात है, इसको लेकर इंटरनेट पर प्रसारित होने वाली कई अटकलें, गलत सूचना और फर्जी खबरें हैं कि वायरस कैसे पैदा हुआ, इसका क्या कारण है और यह कैसे फैलता है?” हंटर कहते हैं, "गलत सूचना का मतलब है कि बुरी सलाह बहुत तेजी से फैलती है और यह इंसानों के व्यवहार को बदल देती है जिससे वह ज्यादा जोखिम लेता है.” इस शोध में हंटर और उनकी टीम ने तीन और वायरस पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें फ्लू, मंकीपॉक्स और नोरोवायरस शामिल हैं. लेकिन उनका मानना है कि शोध के नतीजे कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए उपयोगी हो सकते हैं. हंटर कहते हैं, "फर्जी खबरें बिना किसी सटीकता के बनाई जाती हैं और यह अक्सर साजिश के सिद्धांतों पर आधारित होती हैं.”
भारत में भी सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप में भी लोग तरह-तरह की आधी अधूरी या फिर बिना प्रमाणित जानकारी साझा कर रहे हैं. पिछले दिनों केरल में पुलिस ने ऐसे तीन लोगों को गलत जानकारी फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. दूसरी ओर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि कोरोना वायरस की निगरानी, नमूना, संग्रह, पैकेजिंग और परिवहन, संक्रमण रोकथाम, नियंत्रण और क्लिनिकल प्रबंधन के बारे में राज्यों को परामर्श और दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. हर्षवर्धन ने कहा है कि इस बीमारी को लेकर दिशा-निर्देश दस्तावेज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है.
एए/एके (रॉयटर्स)
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