कोरोना वायरस: क्या होता है हेल्थ इमरजेंसी का मतलब
३ फ़रवरी २०२०जब किसी बीमारी या महामारी के विश्व स्तर पर फैलने का खतरा होता है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य इमरजेंसी की घोषणा करता है.
क्या है परिभाषा
किसी भी बीमारी या संक्रमण पर अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा करने की दो कसौटियां होती हैं. पहला, बीमारी का खतरा एक से ज्यादा देशों में होना चाहिए. दूसरा बीमारी की रोकथाम के लिए "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयासों" की जरूरत हो.
डब्ल्यूएचओ की आधिकारिक परिभाषा के मुताबिक, इसका मतलब है कि स्थिति गंभीर, अभूतपूर्व या फिर अनुमान से परे है. इंटरनेशनल हेल्थ रेग्युलेशन की इमरजेंसी कमेटी स्थिति पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाती है. इंटरनेशनल हेल्थ रेग्युलेशन में डब्ल्यूएचओ के सभी 196 सदस्य देश शामिल हैं.
बीमारी के इंसानों से इंसानों में फैलने और अन्य सभी सबूतों का विश्लेषण करने के बाद इस बारे में अंतिम फैसला डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को लेना होता है. अभी टेडरोस अंदानोम गेब्रियेसुस डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक हैं.
कब कब हुई इमरजेंसी घोषित
जब से स्वास्थ्य इमरजेंसी शब्द का इजाद हुआ है, तब से हर दो साल में एक बार डब्ल्यूएचओ ने इसकी घोषणा की है. हालांकि स्वास्थ्य इमरजेंसी की घोषणा करने में डब्ल्यूएचओ बहुत सावधानी से काम लेता है क्योंकि इससे बहुत से आर्थिक सरोकार भी जुड़े हैं. खासकर पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर इसका बहुत बुरा असर होता है.
डब्ल्यूएचओ को कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है. किसी मामले में उस पर बहुत जल्दबाजी में इमरजेंसी घोषित करने के आरोप लगे हैं तो कई मामलों में देरी करने के. स्वास्थ्य आपात स्थिति को पहली बार 2005 में लागू किया गया था. उस समय सार्स और एच5एन1 जैसे वायरसों का संक्रमण फैल रहा था.
तब से अब तक छह बार स्वास्थ्य आपातस्थिति की घोषणा की गई है. दूसरी बार 2009 में स्वाइन फ्लू पर हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गई थी. इसके बाद 2014 से 2016 के बीच इबोला, 2014 में पोलियो, 2016 में जीका और 2019 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला पर डब्ल्यूएचओ ने ऐसी घोषणाएं की.
अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात स्थिति का मतलब क्या है?
घोषणा के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर कदम उठाए जाते हैं. बीमारी को फैलने से रोकने के लिए तुरंत आर्थिक मदद और संसाधन लगाए जाते हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने से रोका जाता है. इसमें व्यापार और यात्रा को लेकर निर्देश जारी किए जा सकते हैं. एयरपोर्टों पर यात्रियों की जांच की जा सकती है. हालांकि डब्ल्यूएचओ आम तौर पर ऐसी पाबंदियों के हक में नहीं रहता जिनसे व्यापार में बाधाएं आएं.
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ के निर्देशों में बीमारी या संक्रमण को उसके स्रोत स्थल पर रोकने पर ज्यादा बल दिया जाता है. नियमों के मुताबिक, प्रभावित देशों के लिए जरूरी है कि वे बीमारी से जुड़ी स्थिति को लेकर पारदर्शी तरीके से जानकारी दें और संक्रमित लोगों को अलग रखने के लिए तैयार रहे हैं.
रिपोर्ट: इलियट डगलस, रिबेका श्टाउडेनमायर
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