चीन से लौटे भारतीयों ने बताया वहां क्या हाल
३१ जनवरी २०२०हैदराबाद के मोबाइल एक्सेसरी कारोबारी हबीब पिछले दिनों कारोबार के सिलसिले में चीन गए थे, लेकिन वह वहां बिजनेस मीटिंग नहीं कर पाए और उनकी मुलाकात चीन के कारोबारियों से नहीं हुई. हबीब को सलाह दी गई कि वह भारत लौट जाएं. उन्होंने सलाह मानते हुए अपना दौरा एक दिन पहले खत्म कर दिया और हैदराबाद लौट आए. लेकिन इस दौरान उन्हें खांसी और सर्दी होने लगी, जिस पर एयरपोर्ट से ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया और उन्हें निगरानी में रखा गया.
उन्हें 18 घंटे की निगरानी में रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई. कई भारतीय कारोबार के लिए चीन जाते हैं और कई भारतीय वहां रहकर कारोबार करते हैं. मुंबई के मयूर जाधव पिछले तीन साल से चीन में रह कर बिजनेस कर रहे हैं. फिलहाल वह छुट्टियों पर भारत आए हुए हैं. मयूर कहते हैं, "चीन में नए साल को लेकर लोग छुट्टियों पर बाहर चले गए हैं और वहां जो लोग हैं वह अपना काम एहतियात बरतते हुए कर रहे हैं. चीनी सरकार ने कोरोना वायरस को देखते हुए कई कदम उठाए हैं. बाजार 10 फरवरी तक बंद है और मैं भी मध्य फरवरी तक वापस लौटने की सोच रहा हूं. लेकिन हालात को देखते हुए मैं अपनी यात्रा पर फैसला लूंगा."
दूसरी ओर कोलकाता के कारोबारी आरिफ ने बताया कि उनके जानने वाले काफी लोग चीन में रहते हैं और वहां खौफ का माहौल है. आरिफ ने बताया कि सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप के जरिए उन्होंने कई लोगों से संपर्क कर वहां के हालात जाने. उनके मुताबिक, "लोग सर्दी खांसी होने पर अपना इलाज घर पर ही कर रहे हैं क्योंकि जब वे सर्दी और खांसी के लिए अस्पताल जाते हैं तो उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका में अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है. ऐसे में, जिन्हें वायरस नहीं भी होता है उन्हें भी अन्य मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमित होने का डर सताता है."
आरिफ पिछले 10 साल से चीन आते-जाते रहे हैं और इसी वजह से वहां उनका संबंध स्थानीय लोगों से भी है. उन्होंने बताया कि कई प्रांतों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं और लोग बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकल रहे हैं. दिल्ली के एक और कारोबारी जो चीन आते-जाते रहते हैं, उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक अपने घरों में ही हैं. यह कारोबारी चीन में स्थित कई कारोबारियों के लगातार संपर्क में है और उन्होंने बताया कि लोग मास्क लगाकर बाहर जा रहे हैं और छुट्टियों की वजह से लोग बाहर नहीं जा रहे हैं जिससे वायरस का प्रकोप उतना अधिक नहीं है.
इस बीच, भारत के केरल में कोरोना वायरस के मरीज की पुष्टि की गई है. देश के महत्वपूर्ण एयरपोर्टों पर चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है. कोरोना वायरस चीन के वुहान प्रांत से फैला है. वहां कई भारतीय छात्र पढ़ते हैं और उन्हें भारत सरकार विशेष विमान से देश लाने की तैयारी कर चुकी है.
हेल्थ इमरजेंसी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने (डब्ल्यूएचओ) चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस को वैश्विक स्वास्थ आपातकाल घोषित कर दिया है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि ऐसे देशों की सहायता की जा सके जिनके पास अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है. यह खतरनाक वायरस अब तक दुनिया के 18 देशों में फैल चुका है और इस लिहाज से स्थिति बहुत नाजुक है.
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस आधानोम गेब्रेयेसस ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह वायरस कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले देशों में फैल सकता है. गेब्रेयेसस के मुताबिक, "इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि हमें चीन पर विश्वास नहीं है बल्कि इसके जरिए यह कोशिश है कि ऐसे देश जो इससे उबर नहीं सकते हैं उनकी मदद की जाए." डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह चीन की महामारी पर नियंत्रण करने की क्षमता पर विश्वास करता है और चीन पर पर्यटन और व्यापार प्रतिबंध लगाने का विरोध करता है.
पिछले दिनों कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए चीन यात्रा और उड़ानों पर प्रतिबंध लगाए हैं. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक गेब्रेयेसस ने हाल में चीन की यात्रा की थी और जिनेवा लौटकर कोरोना वायरस को वैश्विक स्वास्थ आपातकाल घोषित किया है. चीन दौरे पर उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी. डब्ल्यूएचओ अब तक छह बार अंतरराष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर चुका है. पिछली बार 2016 में जीका वायरस के फैलने के बाद अंतरराष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा हुई थी.
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