महीनों तक चल सकता है कोरोना वायरस का प्रकोप
२८ जनवरी २०२०चीन में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़े पहले आंकड़ों को देख कर शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये वायरस कम से कम लाखों को प्रभावित करेगा और महीनों तक चलेगा. टोरंटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड फिस्मन का कहना है, "सबसे अच्छा परिदृश्य ये हो सकता है कि ये बसंत से ले कर गर्मियों तक रहे और फिर धीरे धीरे खत्म हो जाए. नॉर्थ ईस्टर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अलेस्सान्द्रो वेस्पिनानी के अनुसार, "ये कोई ऐसी चीज नहीं है जो अगले सप्ताह या अगले महीने खत्म हो जाएगी". वेस्पिनानी रिसर्चरों के एक समूह का हिस्सा हैं जो इस प्रकोप के बारे में इंटरनेट पर एक डैशबोर्ड चलाता है.
महामारियों पर काम करने वाले विशेषज्ञों के पास कोई जादूई क्रिस्टल बॉल नहीं है. उनके पास इस नए वायरस पर सिर्फ टुकड़ों टुकड़ों में कुछ जानकारी है जो दिसंबर में सामने आई थी. वे संक्रमण के मामलों की असल संख्या का अंदाजा लगाने के लिए गणित के मॉडलों का इस्तेमाल करते हैं. फिर वे इस संख्या की तुलना पिछली इस तरह की महामारियों से करते हैं, लेकिन कई बार उनका अनुमान अनिश्चित रह जाता है.
बीमारी पर असमंजस
पिछले हफ्ते तक रिसर्चरों को लगा था कि संक्रमित लोगों में जब तक बुखार, सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया जैसे लक्षण न दिखने लगें तब तक वे बीमारी को फैला नहीं सकते. लेकिन 26 जनवरी को चीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इसका ठीक उल्टा निष्कर्ष साबित कर लिया है. 27 जनवरी को अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इस बात का प्रमाण अभी तक नहीं देखा मिला है कि बिना लक्षण के रोगी औरों को संक्रमित कर सकते हैं. लेकिन अगर वाकई ऐसा हो सकता है, तो ये संक्रमण के आयामों को बदल देगा. लगभग दो सप्ताह की इनक्यूबेशन की अवधि के जो पहले अनुमान आए हैं वो हाल ही के हैं.
हाल के दिनों में, कई विशेषज्ञों ने किसी भी संक्रमण के प्रकोप को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड निकाला है: बेसिक रिप्रोडक्शन नंबर या "आरओ". इसका इस्तेमाल एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा संक्रमित किए गए व्यक्तियों की संख्या सूचित करने के लिए किया जाता है. प्रो. डेविड फिसमन के अनुसार इस समय अनुमान 1.4 से 3.8 तक का है. इस संख्या को मध्यम माना जाता है.
ये सिर्फ एक औसत है. कुछ रोगी इस से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकते हैं, और कुछ और रोगी इस से कम को भी. हार्वर्ड विश्वविद्यालय और बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में शोधकर्ता मैमुना मजूमदार कहती हैं, "अपने आप में, ये घबराने का कारण नहीं है." उनका कहना है कि 1.3 की दर मौसमी फ्लू के लिए है, जिसके हर साल लाखों मामले सामने आते हैं और दो और पांच के बीच की दर सार्स के लिए है, जिसके 2002-03 में 8000 मामले सामने आए थे. उस समय महामारी में 774 लोगों की जान चली गई थी. खसरा के लिए दर 12 से 18 के बीच में है.
सार्स जैसा वायरस
मरीजों को अलग थलग करने से, नियमित हाथ धोने और मास्क पहनने से संक्रमित लोगों की संख्या को औसत को नीचे लाया जा सकता है. अगर दर एक के नीचे गिर गई, तो महामारी का अंत हो जाएगा. लेकिन, शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस के चक्र के आधार पर ऐसा लगता है कि चीन में जो रोकथाम के कदम उठाये गए हैं उनका असर और एक या दो सप्ताह तक महसूस नहीं होगा. फिसमन कहते हैं, "हम इसके बारे में जितना जानते जा रहे हैं ये उतना ही सार्स जैसा दिख रहा है. सार्स वायरस नियंत्रण करने लायक था, उम्मीद है ये भी वैसा ही होगा. लेकिन हमें और कुछ सप्ताह तक ये पता नहीं चलेगा." उन्होंने कहा, "इसमें कई सप्ताह लगेंगे, शायद महीनों लगें, और किसी को नहीं पता कि ये कहां तक जाएगा".
चीन में कोरोना वायरस के मामलों की आधिकारिक संख्या 4,000 से ऊपर है, जिसमें 100 से ज्यादा मौतें भी शामिल हैं. देश के बाहर भी लगभग 50 संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है. लेकिन वेस्पिनानी के अनुसार अकेले चीन में मामलों की वास्तविक संख्या 25,000 से भी ज्यादा हो सकती है. इनमें वो मामले भी शामिल हैं जो अभी तक पकड़े नहीं गए हैं. हांग कांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि मामलों की वास्तविक संख्या इस समय 40,000 पार कर चुकी है.
उधर, जर्मनी में कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि हो चुकी है और सरकार ने इसके बारे में घोषणा कर दी है. बवेरिया राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 जनवरी की देर रात कहा कि म्युनिख से 30 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित स्टार्नबर्ग में एक व्यक्ति के वायरस से प्रभावित होने की पुष्टि हो गई है. उसे अलग थलग कर दिया गया है और उसका इलाज चल रहा है. मरीज फिलहाल अच्छे हाल में है और उसे चिकित्सीय निगरानी में अलग रखा है. लेकिन जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने कहा कि बवेरिया ने दिखा दिया कि अधिकारी कितनी अच्छी तरह से तैयार थे. उन्होंने रोबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के हवाले से कहा, "चीन की नई सांस लेने की बीमारी से जर्मनी में लोगों के स्वास्थ्य को खतरा अभी भी कम ही है."
सीके/एमजे (एएफपी)
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