मुस्लिमों के बहिष्कार के ऐलान पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
१० अगस्त २०२३हरियाणा के महेंद्रगढ़, झज्जर और रेवाड़ी की 50 से अधिक पंचायतों ने नूंह में हुई हिंसा के बाद मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार का ऐलान करते हुए पत्र जारी किया था. अब दो गांवों के सरपंचों ने कहा है कि वे अपने उस पत्र को वापस ले रहे हैं.
बुधवार को मीडिया में इससे जुड़ी खबरें भी छपी थीं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि महेंद्रगढ़ के सैदपुर के सरपंच अपने उस पत्र से पीछे हट गए हैं. उन्होंने इस बारे में कानूनी सलाह ली जिसके बाद कहा, "धर्म के आधार पर किसी समुदाय को अलग करना अवैध और असंवैधानिक है."
50 पंचायतों ने प्रवेश पर रोक का ऐलान किया था
इस बीच हरियाणा के एक मंत्री ने कहा है कि मुसलमानों के खिलाफ फरमान जारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हरियाणा के विकास और पंचायत मंत्री और जेजेपी नेता देवेंद्र सिंह बबली ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि कई ग्राम पंचायतों ने समुदाय विशेष के सदस्यों का "बहिष्कार" करने और उनके प्रवेश पर रोक लगाने के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं.
उन्होंने कहा, "मुझे इस मामले की जानकारी है. कुछ स्थानों पर कुछ लोगों ने इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किये हैं. लेकिन मैंने ऐसे सभी स्थानों के जिला प्रशासनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसा कृत्य कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है और अगर कोई व्यक्ति ऐसे फरमान जारी करने में लिप्त है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी."
खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए पत्र
नूंह में हुई हिंसा के बाद एक तरफ जहां समुदाय विशेष की दुकानें और घर तोड़े जा रहे थे वहीं दूसरी तरफ कई महापंचायतें बैठी और मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार का ऐलान किया गया था.
यह महापंचायत प्रशासन की अनुमति के बिना हुई थी. एक और महापंचायत गुरुग्राम के उसी सेक्टर 57 में आयोजित की गई थी, जहां एक भीड़ ने एक मस्जिद में तोड़फोड़ की थी और उसके इमाम की हत्या कर दी थी.
हिंदू संगठनों ने भी मुस्लिमों के बहिष्कार की घोषणा की थी, जिसके बाद गुरुग्राम में मुस्लिम दुकानदारों में गहरी चिंता है. सुरक्षा चिंताओं के चलते कुछ मुस्लिम कर्मचारी गुरुग्राम जाने से बच रहे हैं. हालांकि पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मीडिया से कहा, "हमारे संविधान और कानून के तहत ऐसे प्रस्ताव हमारे संघीय ढांचे के लिए खतरा हैं. भारत के संविधान और राज्य के साथ-साथ देश में कानून के शासन की रक्षा के लिए ऐसी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे कृत्यों से राष्ट्र और उसके संविधान की मूल अवधारणा दूषित होती है."
पंचायतों के फरमान जारी होने के बाद झज्जर के डीसी शक्ति सिंह ने कहा है कि यह असंवैधानिक है और उन्होंने इस बारे में पंचायतों को एक भी खत लिखा है. कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने पंचायतों की इस अपील की निंदा की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई है.