मिस्र में यौन उत्पीड़न पर कानून सख्त हुआ
१३ जुलाई २०२१मिस्र की संसद ने 11 जुलाई को यौन अपराधों के खिलाफ एक नए कानून को मंजूरी दे दी. महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को पुनर्वर्गीकृत कर न्यूनतम सजा को एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है. वहीं जुर्माना भी कम से कम 6,400 डॉलर कर दिया गया है.
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कानून का स्वागत तो किया है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यह तभी प्रभावी होगा जब लागू करने वालों में सुधार किया जाएगा. उनका कहना है कि पुलिस, जजों और समाज में कानून के प्रति जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.
सामाजिक रूप से रूढ़िवादी मिस्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों में कानूनी संशोधन नवीनतम है. सालों से मुस्लिम बहुल देश में सैकड़ों लोग सोशल मीडिया का सहारा यौन उत्पीड़न की निंदा करने के लिए करते आ रहे हैं.
सराहनीय कदम
मिस्र में महिलाओं के कानूनी जागरूकता केंद्र और मार्गदर्न के निदेशक रेदा एलदानबुकी कहते हैं कि यह "सराहनीय कदम" है, लेकिन कानून को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसे लागू करना असली चुनौती है.
एलदानबुकी के मुताबिक, "कानून को लागू करना वास्तव में महत्वपूर्ण है. यौन उत्पीड़न के खतरों के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाना
और कानून को लागू करने के लिए तंत्र तैयार करना होगा."
महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था की रंदा फख्र अल-दीन कहती हैं कानून का पुनर्वर्गीकरण से कानूनी प्रक्रिया और पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी का जोखिम है.
अल-दीन के मुताबिक, "वास्तव में अब जो मायने रखता है, वह है आगे क्या होता है. यह महत्वपूर्ण है कि हिंसा करने वालों को जेल में डाला जाए, ना कि उन्हें छोड़ा जाए."
लंबी सजा, ज्यादा जुर्माना
नए कानून में अपराधियों के लिए जेल की पहले से ज्यादा सजा का प्रावधान है जबकि बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा को बढ़ाने के साथ-साथ जुर्माने को भी बढ़ा दिया गया है.
यौन हिंसा पर मिस्र में पिछले साल तब आंदोलन शुरू हुआ जब एक 22 वर्षीय छात्रा ने एक हाई-प्रोफाइल अभियान की शुरुआत की. कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेल करने के आरोपी युवक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कई महिलाएं सामने आईं.
कुछ हफ्तों बाद इसमें एक सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया जिसमें शक्तिशाली, धनी परिवारों के नौ संदिग्ध शामिल थे. कई संदिग्ध गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन मई महीने में केस को अभियोजकों ने अपर्याप्त सबूत का हवाला देते हुए बंद कर दिया. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कदम की आलोचना की थी.
इसी साल अप्रैल में संसद ने महिला खतने के खिलाफ जुर्माने को और अधिक बढ़ा दिया था.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)