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समाज

लैंगिक समानता में टॉप फैशन ब्रांड्स पिछड़े

३० जून २०२१

बड़े फैशन ब्रांड्स में लैंगिक समानता को लेकर जारी सूचकांक में एडिडास और गैप इंक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों में से हैं. सूचकांक में पाया गया कि लैंगिक असमानता से निपटने के लिए खुदरा विक्रेता समर्थन करने में विफल रहे.

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तस्वीर: DW/A. Maciol

विश्व बेंचमार्किंग एलायंस (डब्ल्यूबीए) के जेंडर बेंचमार्क में दिखाया गया कि शीर्ष 35 परिधान ब्रांडों में से लगभग दो-तिहाई ने सार्वजनिक रूप से लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का समर्थन नहीं किया है. जबकि केवल 14 कंपनियों ने लिंग-विशिष्ट नीतियों को लागू किया है. सूचकांक ने लिंग वेतन में अंतर, नेतृत्व में प्रतिनिधित्व, हिंसा को रोकने के लिए नीतियां और उत्पीड़न जैसे कारकों की समीक्षा कर कंपनियों को 100 में 29 का औसत स्कोर दिया. डब्ल्यूबीए ने इसे "चिंताजनक" बताया है.

एडिडास, गैप और वीएफ कॉर्प ऐसी तीन कंपनियां हैं जिन्हें डब्ल्यूबीए ने अपनी इंडेक्स में 50 से अधिक स्कोर दिए. वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन डब्ल्यूबीए की पॉलिना मर्फी कहती हैं, "हम कंपनियों के कहने और कार्य करने के बीच एक स्पष्ट अंतर देखते हैं. जैसे कि वेतन, नेतृत्व में लिंग संतुलन, हिंसा और उत्पीड़न के मामले." उनका कहना है कि यह दिखावटी प्रेम बंद होना चाहिए.

बात बराबरी की

विश्व में परिधान उद्योग में अनुमानित छह करोड़ लोग काम करते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं होती हैं. कई बार उनके साथ श्रम शोषण और यौन उत्पीड़न के मामले भी सामने आते हैं. अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है ब्रांडों की तरफ से सप्लायर पर जल्दी और सस्ते कपड़े सप्लाई करने का दबाव होता है. जिस कारण शोषण और अधिक बढ़ जाता है. उन्हें शौचालय तक जाने की इजाजत नहीं मिलती है और कई बार उन्हें गाली तक सुननी पड़ती है. ऐसे मामले कोरोना वायरस महामारी दौरान और बढ़े हैं.

35 कंपनियों में से एक तिहाई से भी कम ने अपने कर्मचारियों को हिंसा और उत्पीड़न से बचने की ट्रेनिंग दी है. डब्ल्यूबीए ने पाया कि सिर्फ तीन फैशन ब्रांड्स ने लिंग वेतन अंतर को दूर करने के उपाय किए थे. 

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शोषण और हिंसा

पांच जनवरी 2020 को चेन्नई की एक टेक्स्टाइल फैक्ट्री में काम करने वाली 20 साल की युवती का शव मिला था. फैक्ट्री में ग्लोबल फैशन रिटेलटर एच एंड एम के लिए कपड़े बनाए जाते हैं. युवती का शव मिलने के बाद फैक्ट्री में काम करने वाली दो दर्जन से ज्यादा महिलाएं सामने आईं. और सभी ने यौन दुर्व्यवहार की शिकायत की थी. पुलिस ने इस हत्या के आरोप में फैक्ट्री के एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया था.

भारत का गारमेंट उद्योग कई करोड़ डॉलर का है. देश में करीब 1.2 करोड़ लोग इस सेक्टर में काम करते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. लंबे समय तक तमिलनाडु के कपड़ा उद्योग पर बाल मजदूरी के आरोप लगते रहे. अब यौन शोषण और दुर्व्यवहार के मामले सामने आ गए.

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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