सीरिया में यूरोप के जिहादी
२५ जनवरी २०१४पिछले महीने जर्मनी के कोलोन शहर में जब हाजी अकारजॉर्टेन अपने रेस्त्रां में ग्राहकों को खाना परोस रहे थे तभी फोन की घंटी बजी. अकारजॉर्टेन ने फोन उठाया, लेकिन दूसरी तरफ से किसी ने कुछ नहीं कहा. अकारजॉर्टेन ने पूछा, "क्या तुम हो" उन्होंने फोन पर अपने भाई का नाम लिया. अकारजॉर्टेन का 29 वर्षीय भाई जो कि पेशे से बिजली मिस्त्री है छह महीने पहले गायब हो गया था. फोन पर बात कर रहे शख्स ने कहा "हां, मैं ही हूं." परिवार को फेसबुक पर आए एक संदेश से पता चला था कि उसका छोटा बेटा सीरिया में है.
अकारजॉर्टेन बताते हैं कि उन्होंने अपने भाई से फोन पर 14 मिनट बात की. अकारजॉर्टेन की आंखों में आंसू आ गए जब उन्होंने बताया कि वे नहीं चाहते थे कि उनका भाई घर छोड़ कर जाए. सीरिया में इस्लामी कट्टरपंथियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना वक्त के साथ मजबूत हुई है. असद के खिलाफ मोर्चे में शामिल होने वाले कम उम्र के लोग भी सामने आ रहे हैं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि 15 या 16 साल की उम्र के लड़के भी सीरिया में चल रही लड़ाई में शामिल हो रहे हैं. उग्रवाद पर अध्ययन करने वाली संस्था आईसीएसआर का अनुमान है कि सीरिया में असद के खिलाफ लड़ने वाले विदेशी लड़ाकों की संख्या करीब 8500 है, जिसमें करीब 2000 लड़ाके पश्चिमी यूरोप से हैं.
जिहादी बनते यूरोप के युवा
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने जनवरी में कहा था कि करीब 700 नागरिक सीरिया में चल रही लड़ाई में शामिल होने गए हैं. फ्रांस के खुफिया विभाग ने अक्टूबर में कहा था कि 400 लोग सीरिया में असद के खिलाफ युद्ध में शामिल हैं. लेकिन अब आंकड़ा बढ़ गया है. जर्मन अधिकारियों को इस बात की जानकारी है कि देश के 270 लोग फिलहाल सीरिया में मौजूद हैं. यह संख्या अधिक भी हो सकती है. आईसीएसआर के मुताबिक सीरिया में बेल्जियम के करीब 300, ब्रिटेन के 366, नीदरलैंड्स के 152 लड़ाके मौजूद हैं. बहुत से जिहादी नुसरा फ्रंट और इस्लामी स्टेट ऑफ इराक एंड लेवांत की तरफ से जिहाद में शामिल हैं. ये दोनों आतंकवादी गुट अल कायदा के करीब है और पश्चिम की नजर में दोनों ही खतरनाक हैं. अधिकारियों को इस बात का डर है कि जब लड़ाके सीरिया से लौटेंगे तो युद्ध के गुर सीख चुके होंगे, उनके अंदर पश्चिमी मूल्यों के प्रति घृणा ज्यादा होगी. उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि जिहादी अपने ही देश में उग्रवाद के कौशल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
देश के लिए खतरा
अक्टूबर में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई 5 के महानिदेशक एंड्रयू पार्कर ने कहा, "हम जिन केस पर काम कर रहे हैं उनमें ज्यादातर मामले सीरिया से जुड़ते हैं. हमें उन मामलों पर चिंता है जहां ब्रिटेन के युवा सीरिया में लड़ने गए हैं या फिर ऐसा करने की सोच रहे हैं. अल नुसरा और अन्य सुन्नी उग्रवादी संगठन जो अल कायदा से जुड़े हैं यूरोप में हमले की ख्वाहिश रखते हैं."
ज्यादातर यूरोपीय लोगों का सीरिया जाना बेहद आसान है. यूरोप के किसी भी देश से तुर्की के लिए सस्ती फ्लाइट हैं. एक बार तुर्की पहुंचने के बाद आतंक की राह पर कदम रखने वालों को तस्करी करने वाले सीमा पार करा देते हैं. जर्मनी के खुफिया विभाग के प्रमुख हांस योर्ग मासेन के मुताबिक, "इन संगठनों में घुलने मिलने के लिए जिहादियों को अरबी भाषा की भी जरूरत नहीं पड़ती." देश छोड़ने वालों की तेजी से बढ़ती संख्या और 15 जर्मनों की मौत के बाद सरकार को दबाव में आकर सीमा पर कड़ाई से जांच के आदेश देने पड़े. धार्मिक और प्रवासी समुदाय इन मामलों से जुड़े परिवार की पीड़ा को देखते हुए खुले तौर पर बहस की अपील की है.
अकारजॉर्टेन का परिवार 30 साल पहले दक्षिणपूर्व तुर्की के रास्ते जर्मनी आया. कुर्द समुदाय से संबंध रखने वाले परिवार का कहना है कि वह इस मामले में इसलिए बोल रहा है ताकि बाकी लोग इस कटु अनुभव से बच सकें. इसके साथ ही अभिभावकों को अपने बच्चों को लेकर ज्यादा सावधान किया जा सके. अकारजॉर्टेन कहते हैं, "मैं किसी और मां को इतनी पीड़ा, दर्द और आंसू के साथ नहीं देखना चाहता. मैं नहीं चाहता कोई और परिवार इतना दुख झेले."
जिहादी बनने से कैसे रोके
परिवार का कहना है कि वह ज्यादा धार्मिक नहीं है. परिवार बेटे को किसी किस्म का खतरा न पहुंचे इस कारण उसका नाम नहीं बताना चाहता. अकारजॉर्टेन के पिता अजीज कहते हैं कि उनका बेटा कट्टरपंथ की राह पर तब चलने लगा जब उसकी मुलाकात एक अरब नागरिक से हुई. उस दौरान वह इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग ले रहा था. उसके पिता का कहना है कि उसी के बाद से उसने स्थानीय मस्जिद में नमाज पढ़ना शुरू कर दिया. समय के साथ वह रात भर इंटरनेट पर ज्यादा रहने लगा. पिता कहते हैं उनका बेटा कट्टरपंथी सामग्री पढ़ने और सुनने लगा. धीरे धीरे वह सोमालिया में अपने "भाइयों" के बारे में बात करता. उसने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली और घर छोड़कर चला गया. 2010 में अजीज पुलिस के भी पास गए और उन्हें अपने बेटे के कट्टरपंथ की तरफ जाने की बात बताई. लेकिन पुलिस ने कहा कि वे उतने खतरनाक नहीं हैं और उन लोगों पर नजर रखी जा रही है. यह बात उस समय की है जब सीरिया में संघर्ष शुरू नहीं हुआ था.
स्कूली उम्र के लड़ाके
सीरिया में लड़ रहे यूरोप के ज्यादातर जिहादी युवा वयस्क हैं. अधिकारियों का कहना है कि वह किशोरों की इन संगठनों में भर्ती से चिंतित है. फ्रांस के गृह मंत्री मैन्युल वाल्स ने पिछले हफ्ते कहा था कि दर्जन भर फ्रांसीसी किशोर या तो सीरिया में हैं या वहां पहुंचने वाले हैं. इनमें 15 वर्षीय दो किशोर भी शामिल हैं. पिछले साल एक प्रतिभाशाली जर्मन फुटबॉलर सीरिया में मारा गया. जांच में पता चला कि कभी जर्मनी के अच्छे युवा फुटबॉलरों में गिना जाने वाला वह लड़का सीरिया में जिहादी बन चुका था.
एए/एजेए (रॉयटर्स)