बिन लादेन की आखिरी रस्म पर विवाद
४ मई २०११बिन लादेन को मार गिराने के बाद अमेरिकी सेना ने उसके शव को एक विशेष विमान में डाला और बाद में अरब सागर में बहा दिया गया. उसके शव को एक भारी थैले में डाला गया ताकि वह किसी तरह ऊपर न आ सके. पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों के कार्यकर्ता आईए रहमान ने इस पर एतराज किया है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के रहमान का कहना है, "उसका निहत्था होना तो एक बात है. हमें ज्यादा चिंता इस बात पर है कि क्या इस्लामी तौर तरीके से उसका आखिरी संस्कार किया गया. मुसलमान उलेमाओं का कहना है कि धार्मिक तौर तरीके से उसका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और इस पर लंबे वक्त तक बहस होती रहेगी."
सऊदी अरब के शाही खानदान के सलाहकार शेख अब्दुल मोहसिन अल उबेकान तो साफ साफ कहते हैं, "यह इस्लामी तरीका नहीं है. इस्लाम का तरीका है कि अगर कोई शख्स जमीन पर खत्म होता है तो उसे जमीन में ही दफनाया जाता है. ऐसा हर किसी के साथ किया जाना चाहिए."
इंडोनेशिया उलेमा काउंसिल के एक सदस्य अमीजान का कहना है कि उन्हें इस बात की ज्यादा फिक्र नहीं है कि उसे हथियार के साथ मारा गया या निहत्था मारा गया लेकिन उसके आखिरी संस्कार को लेकर उन्हें चिंता है. उन्होंने कहा, "किसी के शव को समुद्र में बहाने के लिए विशेष परिस्थितियां होनी चाहिए. क्या ऐसा था."
उनका कहना है, "अगर अमेरिका के पास ऐसी किसी विशेष परिस्थिति का जवाब नहीं है तो इसका मतलब एक इंसान के साथ जानवर की तरह सलूक किया गया. और इससे ओसामा बिन लादेन के समर्थकों में और आक्रोश भड़क सकता है."
ओसामा बिन लादेन के निहत्था होने का मुद्दा भी गरमाता जा रहा है. शुरू में ऐसी खबर आई थी कि वह हथियारबंद था और पहले मुठभेड़ हुई, फिर उसे मार गिराया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी अपने पहले संबोधन में ऐसा ही कहा. लेकिन बाद में अमेरिका ने साफ किया कि मुठभेड़ के वक्त बिन लादेन के पास कोई हथियार नहीं था. इस मुद्दे पर भारत के मुस्लिम उलेमा सैयद अहमद बुखारी का कहना है, "अमेरिका हर जगह जंगल राज चलाना चाहता है. अफगानिस्तान, इराक, पाकिस्तान या लीबिया, हर जगह. लोग लंबे वक्त तक खामोश थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा."
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः ए कुमार