निहत्थे बिन लादेन पर हमला करने पर उठे सवाल
४ मई २०११व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बिन लादेन ने "पकड़े जाने पर प्रतिरोध किया", लेकिन यह प्रतिरोध किस तरह का था, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रवक्ता जे कार्ने ने कहा, "हमें उम्मीद थी कि बिन लादेन पकड़े जाने पर कड़ा प्रतिरोध करेगा और हमें उसके कड़े प्रतिरोध का सामना करना भी पड़ा. वहां और कई लोग थे जिन के पास हथियार थे."
अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
पूर्व पश्चिम जर्मनी के चांसलर रह चुके हेल्मुट श्मिट ने जर्मन टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि बिन लादेन पर अमेरिका का हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब अरब देशों में पहले से ही अशांति फैली है. श्मिट ने कहा कि अरब देशों में इस कार्रवाई के कितने बुरे परिणाम हो सकते हैं, इसका अभी अनुमान लगाना मुश्किल है. श्मिट ने बिन लादेन को जान से मारने के अमेरिकी कदम को गलत बताते हुए कहा, "यह साफ साफ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है."
क्यों नहीं चला मुकदमा
ऑस्ट्रेलिया के जाने माने मानवाधिकार प्रतिनिधि जेओफ्री रॉबर्टसन की भी यही राय है. वह कहते हैं, "यह न्याय नहीं है. न्याय तब होता है जब आप किसी को अदालत ले कर जाते हैं, सबूतों को मद्देनजर उसे दोषी पाते हैं और फिर सजा निर्धारित करते हैं. व्हाइट हाउस से आ रही आधी अधूरी रिपोर्टों से तो अब ऐसा लग रहा है कि शायद यह निर्दयी रूप से की गई हत्या है." रॉबर्टसन ने कहा कि बिन लादेन पर वैसे ही मुकदमा चलना चाहिए था जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाजियों पर चला या जैसे युगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबादान मिलोसेविच पर युद्ध अपराधों के लिए चला. लेकिन अमेरिका ने इसके विपरीत कदम उठाया, "बिन लादेन कभी नहीं चाहता था कि वह पकड़ा जाए और उस पर मुकदमा चले या फिर वह अपने जीवन की आखरी सांसें न्यूयॉर्क की जेल में ले. वह जो चाहता था, उसे वही मिलाः वह जिहाद के दौरान शहीद हो जाए और उसे जन्नत नसीब हो, और अमेरिका ने उसकी ख्वाहिश पूरी कर दी."
अमेरिका का जंगल राज
नई दिल्ली में जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि अमेरिका अगर चाहता तो बिन लादेन को जिंदा भी पकड़ सकता था. उन्होंने कहा, "अमेरिका हर जगह जंगल राज लागू करना चाहता है, चाहे वह अफगानिस्तान हो, इराक, पाकिस्तान या लीबिया. अब तक लोग खामोश रहे, लेकिन अब तो हद ही पार हो गई है."
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ईशा भाटिया
संपादन: ए कुमार