बिन लादेन की मौत पर बना हुआ राज
४ मई २०११इंटरनेट पर कई ब्लॉग्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बहस शुरू हो गई है कि क्या अमेरिका ने बिन लादेन को वाकई मार गिराया है. युद्ध का विरोध करने वाली अमेरिका की सिंडी शीहन ने फेसबुक पर लिखा, "अगर आप लोग ओबीएल (ओसामा बिन लादेन) की नई मौत पर विश्वास करते हैं, तो आप मूर्ख हैं." शीहन ने कहा कि पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने 2007 में यह बात कही थी कि बिन लादेन मर चुका है, तो अब दोबारा मौत का नाटक क्यों. शीहन के पास ढेर सारे सवाल हैं. वह जानना चाहती हैं कि अमेरिका के पास इतनी जल्दी बिन लादेन के डीएनए टेस्ट का नतीजा कैसा आया? बिन लादेन को आनन-फानन में क्यों दफनाया गया? और अब तक कोई वीडियो या तस्वीरें जारी क्यों नहीं की गई?
क्या अब भी जिंदा है बिन लादेन?
शीहन की तरह और भी लोगों के जेहन में ऐसे कई सवाल हैं. 9/11 में मारे गए कई लोगों के परिवार वालों का भी यह कहना है कि जिस तरह से राष्ट्रपति ओबामा ने बिन लादेन की मौत की खबर टीवी पर सुनाई, उस से कई सवाल खड़े होते हैं. सर्च इंजन याहू के अनुसार सोमवार को इंटरनेट पर सबसे अधिक ढूंढे गए शब्द थे "ओसामा बिन लादेन नॉट डेड" और "ओसामा बिन लादेन स्टिल अलाइव" यानी ओसमान बिन लादेन मरा नहीं है और ओसामा बिन लादेन अब भी जिंदा है. याहू के अनुसार "बिन लादेन कॉन्सपीरेसी" यानी बिन लादेन षडयंत्र के बारे में सबसे अधिक सर्च अमेरिका के ऑरिगॉन, विसकंसिन, नॉर्थ केरोलिना, इंडियाना और न्यूजर्सी से की गई.
ईरान की एक समाचार एजेंसी ने कहा है कि ओसामा की मौत की खबर गलत है. ईरान के सरकारी चैनल ने भी कहा कि समुद्र में बिन लादेन के शरीर को दफनाने से मौत का रहस्य और गहरा गया है. बताया जाता है कि नेवी सील्स के कमांडर ने बिन लादेन के सिर में गोली मारी जिस से वह वहीं ढेर हो गया. इसके बाद उसके शरीर को एक भारी थैले में भर कर समुद्र में दफना दिया गया. व्हाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार उसे इस्लामी रस्मों के अनुसार दफनाया गया.
समुद्र में दफनाने पर बवाल
एक तरफ ये अटकलें लग रही हैं कि अमेरिका ने बिन लादेन को मारा ही नहीं और इसलिए यह कहानी बना दी, तो दूसरी ओर मुस्लिम उलेमाओं में दफनाने की रस्म को लेकर नाराजगी है. कइयों का कहना है कि बिन लादेन को इस्लामी तरीके से नहीं दफनाया गया. बिन लादेन की मौत अगर जमीन पर हुई थी तो उसे जमीन पर ही दफनाना चाहिए था.
कई जगह बिन लादेन को शहीद भी घोषित कर दिया गया है. इंडोनेशिया के इस्लामी संगठन जेमाह अंशारुत तौहीद के प्रवक्ता सन हद ने कहा, "इस्लाम में जब कोई व्यक्ति शरिया के लिए लड़ते हुए मरता है तो उसे सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है. पैगम्बर के बाद सबसे ज्यादा इज्जत एक शहीद को ही मिलती है. ओबामा इस्लाम के लिए लड़ रहा था, शरिया के लिए."
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ईशा भाटिया
संपादन: ए कुमार