टेनिस संघ और खिलाड़ियों में टकराव
४ जनवरी २०१३
टेनिस संघ के सीईओ हिरन्मय चटर्जी ने कहा, "समिति इन मांगों पर गौर करेगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि खिलाड़ी अपनी शर्तों पर राजी होने के लिए संघ को मजबूर कर सकते हैं. उन्होंने जो बातें रखी हैं उनमें से कुछ वाजिब हैं और कुछ नहीं. जो मांगें संघ को सही लगेंगी सिर्फ वही मानी जाएंगी." उन्होंने कहा, "मेरी खिलाड़ियों से इस बारे में बात हुई है. अब समिति के बाकी सदस्यों से बात करके ही हम फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है."
चटर्जी के अनुसार खिलाड़ियों का काम खेलना है. वे सुझाव जरूर दे सकते हैं लेकिन एक ही समय पर वे खिलाड़ी होने के अलावा संचालक और चयनकर्ता भी नहीं हो सकते.
क्या हैं मांगें
महेश भूपति और सोमदेव देववर्मन समेत आठ खिलाड़ियों ने भारतीय टेनिस में फेरबदल और डेविस कप में मिलने वाली पुरस्कार राशि में खिलाड़ियों का हिस्सा बढ़ाने की मांग की है. अभी तक डेविस कप की रकम खिलाड़ियों और संघ के बीच बराबर बंटती आई है.
चटर्जी ने माना कि टीम के लिए एक फुलटाइम फिजियो ट्रेनर की मांग उचित है. उस पर ध्यान दिया जाएगा लेकिन हर मांग पर नहीं. ऐसा करने से दूसरे खेल संघों और खिलाड़ियों के लिए भी गलत मिसाल पेश होगी. उन्होंने कहा, "हम किसी खिलाड़ी को खेलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. अगर खिलाड़ी जिद पर अड़े रहे तो खेल संघ को सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं."
पेस का समर्थन नहीं
इन मांगों को उठाने वाले प्रमुख खिलाड़ी हैं महेश भूपति, सोमदेव देववर्मन और रोहन बोपन्ना. भारतीय स्टार टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने खुद को इस मामले से बाहर रखा है. पहले भी महेश भूपति और रोहन बोपन्ना ने पेस के साथ आपसी मतभेद के चलते लंदन ओलंपिक में खेलने से इनकार कर दिया था. इसके बाद संघ ने भूपति और बोपन्ना को दो साल के लिए डेविस कप से निलंबित कर दिया.
इन मतभेदों की वजह से संघ को पेस और भूपति की जोड़ी ओलंपिक में भेजने का इरादा बदलना पड़ा. आखिर में पेस की विष्णु वर्धन के साथ और भूपति की बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाकर लंदन भेजी गई. दोनो ही जोड़ियां नाकाम होकर लौटीं.
एसएफ/एजेए (रॉयटर्स)