1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत का ओलंपिक समिति से टकराव जारी

५ दिसम्बर २०१२

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से प्रतिबंध की शर्मिंदगी और घरेलू दबाव के बाद भी भारतीय ओलंपिक संघ ने टकराव का रास्ता नहीं छोड़ा है. बुधवार को प्रस्तावित चुनाव कराने का फैसला किया गया है, जिससे आईओसी और भड़क सकता है.

https://p.dw.com/p/16vuM
तस्वीर: AP

भारतीय ओलंपिक संघ ने कहा कि कमेटी से निकाल दिए जाने के बाद भी उनके कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं हुआ है और चुनाव तय समय से ही कराए जाएंगे. आईओसी ने साफ कर दिया है कि इस चुनाव का कोई मतलब नहीं है और इसे मान्यता नहीं दी जाएगी.

अंतरराष्ट्रीय कमेटी ने साफ कहा है, "उन्हें चुनाव कराने का अधिकार नहीं रह गया है और अगर वे ऐसा करते हैं तो इसे माना नहीं जाएगा."

कमेटी में राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के साथ रिश्तों के प्रभारी पेरे मीरो ने कहा, "यह बड़ी समस्या का छोटा रूप है. बहुत पहले से ही वहां चुनाव को लेकर गड़बड़ी चल रही है. बहुत सारे सरकारी नियम लागू किए जा रहे हैं."

कॉमनवेल्थ का असर

कॉमनवेल्थ गेम्स भारत के लिए वरदान से ज्यादा अभिशाप साबित हुआ. भले ही भारत ने 2010 में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करा ली लेकिन इसके बाद भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उसकी खूब थूथू हुई. भारतीय आला अधिकारियों को जेल तक जाना पड़ा और उसका असर दो साल बाद भी दिख रहा है. कॉमनवेल्थ में दागी अधिकारियों को ओलंपिक संघ में जिम्मेदारी दिए जाने की वजह से ही भारत को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

Eröfnungszeremonie mysteriöse Frau Einmarsch Indisches Team Olympia London 2012
तस्वीर: REUTERS

मीडिया में खिंचाई

भारतीय मीडिया ने इस बीच भारतीय ओलंपिक संघ को आड़े हाथों लेते हुए उसकी जबरदस्त खिंचाई की है. मीडिया का कहना है कि इसके फैसलों की वजह से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी है.

मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समिति ने स्विट्जरलैंड में हुई बैठक में भारत को बर्खास्त करने का फैसला लेते हुए कहा था कि भारत ने "अंतरराष्ट्रीय चार्टर का उल्लंघन किया है और इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है."

अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से छापते हुए कहा है कि हो सकता है कि यह फैसला भारतीय खेल में दागी खेल अधिकारियों के लिए सबक साबित हो. हिन्दुस्तान टाइम्स ने हेडलाइन लगाई है, "गोल्डन डेज फॉर इंडियन स्पोर्ट्स". इसमें कहा गया है कि "इस फैसले के बाद हमारे पास मौका है कि हम अपने अंदर की गंदगी को साफ कर सकें."

मेल टुडे ने "ओलंपिक शेम" शीर्षक के तहत लिखा है कि आईओ स्वयंभू अधिकारियों और उनके राजनीतिक आकाओं की जगह बन गई है, जिससे भारत को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है.

मल्होत्रा का कहना है, "हम लोगों को दिल्ली हाई कोर्ट से आदेश मिला था कि चुनाव भारतीय खेल मंत्रालय के नियमों के तहत कराए जाने चाहिए और हमने ऐसा ही किया है. हम अपने देश के कानून के खिलाफ नहीं जा सकते हैं."

Stauke Portfolio ansehen Bildnummer 38100379 Land Österreich Repräsentative Kategorie Gegenstände Druckprodukte Papier / Karton Konzeptionelle Kategorie Konzepte Geist Nachdenken Keywords antworten blätter bunt denken entscheidung faltig faq formatfüllend fragen fragestellung fragezeichen haufen hilfe horizontal hotline idee karton konzept lösung nachdenken nahaufnahme niemand papier postit problem quiz rat ratlos ratlosigkeit rot rätsel service studioaufnahme support treffen umfrage unwissend zerdrückt zerknüllt zerrissen zettel zweifel
यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 05/12 और कोड 1239 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए [email protected] पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: Fotolia/Stauke

बर्खास्तगी के नतीजे

ओलंपिक समिति से प्रतिबंध का मतलब हैः

  • भारत को अंतरराष्ट्रीय समिति से किसी तरह का पैसा नहीं मिलेगा.
  • भारतीय अधिकारी ओलंपिक समिति की बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे.
  • भारतीय एथलीट भारत के झंडे तले ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे.
  • भारत ओलंपिक से जुड़े आयोजनों की मेजबानी की दावेदारी नहीं कर पाएगा.

देश का कानून

लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा का कहना है कि चुनाव तय वक्त से होंगे और इसके नतीजे बुधवार देर शाम तक जारी कर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि पूरे मसले पर आईओए की आम बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. यह बैठक भी बुधवार को ही दिल्ली में हो रही है.

इस चुनाव के नतीजे को लेकर ज्यादा शक नहीं है और ललित भनोत का चुना जाना तय है क्योंकि उनके खिलाफ कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है. भनोत कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले भी आईओए के महासचिव थे और भ्रष्टाचार में आरोपी होने की वजह से जेल में एक साल काट चुके हैं. वह फिलहाल जमानत पर हैं.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने अक्तूबर में इस बात को साफ कर दिया था कि अगर भनोत को दोबारा इस पद के लिए खड़ा किया जाता है तो इसके खतरनाक अंजाम हो सकते हैं.

एजेए/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें