जर्मन निर्यात में भारत का महत्व बढ़ा
६ अप्रैल २०१२जर्मनी के निर्यातकों के लिए यूरोप के बाहर के देशों में व्यापारिक साझेदारों का महत्व बढ़ रहा है. पिछले साल की चौथी तिमाही में यूरोपीय संघ के बाहर देशों में जर्मनी के निर्यात में 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान निर्यात का आंकड़ा बढ़ कर 113.4 अरब यूरो हो गया.
थोक और विदेश व्यापार महासंघ बीजीए के आंद्रे श्वार्स ने कहा, "आंकड़े उसी की पुष्टि कर रहे हैं जो हम पिछले कई सालों से देख रहे हैं. हम यूरोपीय संघ के अपने केंद्रीय बाजार से धीरे धीरे स्वतंत्र होते जा रहे हैं." उनका कहना है कि इस विकास ने चौथी तिमाही में गति पकड़ ली है.
सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार जर्मन कंपनियों ने अक्टूबर से दिसंबर 2011 तक 269 अरब यूरो का माल विदेशों में बेचा. इसके हिसाब से यूरोप अभी भी जर्मन मालों का सबसे महत्वपूर्ण बाजार हैं. यूरोपीय देशों में 155.5 अरब यूरो का निर्यात हुआ जो कुल बिक्री का 58 फीसदी है.
इस बीच जनवरी 2012 के निर्यात आंकड़े भी आ चुके हैं और इनसे पुष्टि होती है कि यूरो संकट के बावजूद जर्मनी की कंपनियां सारी दुनिया से अपने माल की मांग का भरोसा कर सकती हैं. कर्ज संकट से यूरोप के देश भले ही परेशान हों, उस कमी की भरपाई जर्मन कंपनियां दूसरे देशों में कर रही हैं.
साल के शुरू से जर्मन कंपनियों को ब्रिक्स से सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत और चीन में मांग बढ़ने का लाभ मिला है. यूरोप से बाहर के देशों में जर्मन निर्यात यूरोपीय देशों के मुकाबले तीन गुना बढ़ा है. यह तेजी से बढ़ रहे विकासशील देशों में औद्योगिक विकास का संकेत भी है.
दूसरी ओर जर्मनी के नजरिए से श्वार्स कहते हैं, "यह व्यापकता महत्वपूर्ण और सकारात्मक है. इसके साथ हम यूरोप के बाहर विकास में हिस्सा ले रहे हैं." जर्मनी किसी एक देश पर निर्भर नहीं है और अलग अलग देशों में पैदा होने वाली मुश्किलों का उस पर घातक असर नहीं होगा. वह मानते हैं कि जर्मनी भूमंडलीकरण का विजेता है.
पिछले साल के दूसरे देशों का माल बेचने के रिकॉर्ड नतीजे के साथ जर्मन निर्यात पहली बार 1000 अरब यूरो के मार्के को पार कर गया है. थोक और विदेश व्यापार महासंघ को 2012 में कम से कम छह फीसदी की बढ़ोत्तरी की उम्मीद है. श्वार्स का कहना है कि तेल और गैस की बढ़ती कीमतों से रूस और सऊदी अरब जैसे देशों को लाभ हो रहा है औ वे अपनी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी से भी सामान और तकनीक खरीद रहे हैं.
एमजे/एजेए (डीपीए)