हां ना करते करते महाभियोग आ गया ट्रंप के सामने
१६ दिसम्बर २०१९यह लगभग तय हो चुका है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सांसद महाभियोग पर वोटिंग के बाद ही क्रिसमस की छुट्टी पर जाएंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति पर आरोप है कि राजनीतिक फायदे के लिए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया. ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने जो बाइडेन के खिलाफ जांच के लिए यूक्रेन की सरकार पर दबाव बनाया. माना जा रहा है कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन डॉनल्ड ट्रंप के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी होंगे. इसके साथ ही उन पर इस मामले में संसद की जांच में बाधा डालने का भी आरोप लगा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कुछ भी गलत करने से साफ इनकार किया है और उन्होंने महाभियोग की जांच को झांसा और ढकोसला करार दिया है.
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की न्यायिक कमेटी ने शुक्रवार को 17 के मुकाबले 23 वोटों से ट्रंप के खिलाफ दो आरोपों की पु्ष्टि की और उसे पूरे सदन के सामने पेश करने के लिए भेजा. इसके बाद रविवार को पैनल ने 658 पन्नों की पूरी रिपोर्ट जारी की जिसमें ट्रंप के खिलाफ पूरे मामले का ब्यौरा है. रिपब्लिकन पार्टी पूरी तरह से ट्रंप के साथ खड़ी है. उसका कहना है कि 2016 के चुनाव में ट्रंप की चौंकाऊ जीत से परेशान डेमोक्रैटिक पार्टी ने राजनीति से प्रेरित हो कर यह पूरा मामला खड़ा किया है.
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में मतदान
अमेरिकी संसद के निचले सदन में बुधवार को इस मुद्दे पर चर्चा होने के आसार हैं जिसमें इसी हफ्ते आरोपों पर वोटिंग कर उन्हें मंजूरी दी जा सकती है. इससे पहले चर्चा के नियम तय करने के लिए मंगलवार को बैठक बुलाई गई है. संसद के निचले सदन में डेमोक्रैटिक पार्टी के पास अच्छा खासा बहुमत है. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि महाभियोग के आरोपों पर सदन में मुहर लग जाएगी. इसके लिए सामान्य बहुमत की ही जरूरत होती है और पार्टी के प्रतिद्वंद्वी पार्टी के मुकाबले 36 सीटें ज्यादा हैं.
इसके बाद मामला रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले ऊपरी सदन सीनेट में जाएगा. जहां इन आरोपों की बाकायदा जांच होगी और तय किया जाएगा कि क्या ट्रंप को उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए.
महाभियोग मैनेजर
इसी हफ्ते निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी उन सदस्यों के नाम तय करेंगी जो सीनेट की ट्रायल में डेमोक्रैटिक पार्टी की ओर से दलील पेश करेंगे. हालांकि इनमें ज्यादातर सदस्य संसद की ज्यूडिशियरी और इंटेलिजेंस कमेटियों के सदस्य ही होंगे. इन लोगों ने इस मामले को शुरू से देखा है और मामले का नेतृत्व किया है.
पेलोसी ने अब तक सांसदों के नाम तय नहीं किए हैं लेकिन माना जा रहा है कि डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए सुरक्षित समझे जाने वाली सीटों के सांसदों को ही इसमें जगह मिलेगी. 1998 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के महाभियोग के समय 13 लोगों को मैनेजर बनाया गया था लेकिन इस बार यह संख्या कम रह सकती है. इंटेलिजेंस कमेटी के प्रमुख एडम शिफ और जूडिशियरी कमेटी के चेयरमैन जेरोल्ड नाडलर मैनेजरों की सूची में शामिल संभावितों में सबसे आगे हैं.
सीनेट की जांच
अगर उम्मीद के मुताबिक निचले सदन में आरोपों की पुष्टि हो जाती है तो महाभियोग हफ्ते भर चलने वाली सीनेट के ट्रायल के लिए जाएगा. यहां सीनेट के सदस्य ज्यूरी की भूमिका में होंगे जबकि महाभियोग के मैनेजर अभियोजक का काम करेंगे. अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश इस पूरे ट्रायल की अध्यक्षता करेंगे. अगर सीनेट महाभियोग की धाराओं को दो तिहाई बहुमत से पास कर देती है तो राष्ट्रपति को दोषी करार दिया जाएगा और उन्हें पद छोड़ना होगा. दूसरी तरफ सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में 53 सीटें हैं यानी बहुमत उनके पास है लेकिन यहां ट्रंप को हटाने के लिए यहां मौजूद सांसदों में से दो तिहाई का समर्थन जरूरी है. अगर सारी धाराएं खारिज कर दी जाती है तो राष्ट्रपति आरोपमुक्त हो जाएंगे.
अभी यह साफ नहीं है कि ट्रायल कितना लंबा चलेगा और इसकी संरचना कैसी होगी. ट्रायल की रूपरेखा तय करने के लिए सीनेट में डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता चक शुमर ने रविवार को गवाही के लिए व्हाइट हाउस के कार्यवाहक प्रमुख मिक मुलवाने, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन, मुलवाने के सहयोगी रॉबर्ट ब्लेयर और बजट अधिकारी माइकल डफ को बुलाया था. शुमर ने सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैककॉनेल को एक पत्र भी लिख कर प्रस्ताव दिया है. हालांकि मैककॉनेल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
शुमर ने प्रस्ताव रखा है कि ट्रायल 6 जनवरी से शुरु होने वाले हफ्ते में पेश किया जाए जिसमें बयानों, गवाही, सवालों और चर्चा के लिए 126 घंटे दिए जाएं. इसका मतलब है कि ट्रायल तीन हफ्ते या इससे लंबा भी चल सकता है. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में शुमर ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि एक निष्पक्ष सुनवाई के लिए हम एक करार पर पहुंच सकते हैं."
महाभियोग का इतिहास
अमेरिका के इतिहास में अब तक महाभियोग के जरिए सीधे किसी भी राष्ट्रपति को नहीं हटाया गया है. कुल चार बार महाभियोग की नौबत आई. इसमें दो बार तो आरोप पुष्ट नहीं हो सके और एक बार निचले सदन में महाभियोग पर वोटिंग से पहले ही राष्ट्रपति ने पद छोड़ दिया. यह 1974 की बात है जब तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के वॉटरगेट कांड में फंसने के बाद महाभियोग के आसार बने तो उन्होंने उसके पहले ही इस्तीफा दे दिया.
1968 में एंड्रयू जॉनसन और 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग तो जरूर चला लेकिन सीनेट में उन पर लगे आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी और उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया.
एनआर/ओएसजे (एपी)
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