'स्पेक्ट्रम' राजा के इस्तीफे से विपक्ष खुश हुआ
१५ नवम्बर २०१०यूपीए सरकार पर कई दिनों से दबाव बनाए हुए विपक्षी दल ए राजा के इस्तीफे को अपनी जीत की तरह देख रहे हैं. हालांकि विपक्षी दलों का मानना है कि 1 लाख 76 करोड़ रुपये के इस घोटाले में राजा का जाना सिर्फ एक शुरुआत है और जांच को अंजाम तक पहुंचाया जाना चाहिए.
बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने इसे अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया. "सही ढंग से एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए. सीबीआई जांच पहले ही चल रही है. इस घोटाले में शामिल सभी लोगों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. उन्हें सजा मिलनी चाहिए."
वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने राजा के इस्तीफे का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ विपक्ष का आंदोलन सही साबित हुआ है. वहीं कांग्रेस भी श्रेय लेने में पीछे नहीं है. कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के मंत्री ने लोकतांत्रिक परंपराओं और मर्यादा को कायम रखते हुए अपना इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि विपक्ष अब संसद की कार्यवाही में बाधा नहीं डालेगा.
कांग्रेस की सहयोगी और ए राजा की डीएमके पार्टी के मुताबिक संसद में कार्यवाही में बाधा न आए इसीलिए राजा से इस्तीफा देने के लिए कहा गया है. संसद में कामकाज ठप होने से आम लोगों के हित में फैसले नहीं लिए जा रहे थे. ए राजा पर आरोप है कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस वितरण 2007 में 2001 की दरों पर किया जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ.
57 साल के ए राजा को 2007 में टेलीकॉम मंत्रालय सौंपा गया था. इससे पहले यह जिम्मेदारी दयानिधि मारन के पास थी. 2009 में चुनावों के बाद भी यूपीए की दूसरी पारी में उन्होंने यह पद अपने पास रखा. कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में राजा के फैसले पर सवाल उठाए जाने के बाद से ही राजा पर इस्तीफे का दबाव पड़ रहा था लेकिन वह कह रहे थे कि उनके द्वारा लिए गए फैसले सही हैं और वह इस्तीफा नहीं देंगे. लेकिन आखिरकार उन्हें झुकना पड़ा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एमजी