सौर मंडल से बाहर निकला इंसान
१३ सितम्बर २०१३अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक वॉयजर वन सूर्य के चारों ओर बने हॉट प्लाज्मा बबल से बाहर निकल गया है. हॉट प्लाज्मा बबल हमारे सौर मंडल और उसके काफी बाहर तक फैला हुआ गर्म गैसों का गोला सा है. इससे बाहर निकलने के बाद वॉयजर वन का हमारे सूर्य और सौर मंडल से कोई संबंध नहीं रह गया है.
वॉयजर वन अब अनंत की यात्रा पर है. यान इतना दूर जा चुका है कि वहां से पृथ्वी तक रेडियो सिग्नल आने में भी 17 घंटे लग रहे हैं. वॉयजर वन पांच सितंबर 1977 को हमारे सौर मंडल के दूर के ग्रहों की खोज के लिए भेजा गया था. वॉयजर ने बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण का अध्ययन 1989 में ही पूरा कर लिया था. यान की यात्रा इसके बाद भी जारी रही.
वॉयजर अभियान के मुखिया वैज्ञानिक प्रोफेसर एड स्टोन कहते हैं, "हम वहां पहुंच गए हैं, सौर सागर और तारों के बीच यात्रा कर रहे हैं. यह वाकई में एक मील का पत्थर है. जब 40 साल पहले हमने ये प्रोजेक्ट शुरू किया था, तो हमें उम्मीद थी कि यह यान एक दिन गहरे अंतरिक्ष में पहुंचेगा. यह विज्ञान और इतिहास की नजर से भी एक बड़ा मील का पत्थर है."
वॉयजर के सेंसर करीब साल भर से आस पास का माहौल बदलने के संकेत दे रहे थे लेकिन वैज्ञानिक इनसे कोई नतीजा नहीं निकाल सके. नासा के मुताबिक वास्तव में यान को सौर मंडल से बाहर निकले एक साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन वैज्ञानिक मानकों के आधार पर पहले इसकी पुष्टि नहीं हो पाई.
पुष्टि गुरुवार को ही हो सकी. यान के आस पास के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव का पता चला. साल भर पहले यान ने जो सौर तूफान झेले और बीप की आवाज की, उसे नए डाटा से मिलाते ही उलझन खत्म हो गई.
वॉयजर प्लूटोनियम से चलने वाला यान है. प्लूटोनियम रिएक्टर से इसके 20 वॉट के ट्रांसमीटरों को ऊर्जा मिलती है. वॉयजर वन फिलहाल 45 किलोमीटर प्रति सेंकेड की रफ्तार से गतिमान है. सूर्य जैसे किसी और तारे तक पहुंचने में उसे अभी 40,000 साल और लगेंगे.
वॉयजर वन का एक भाई भी है, उसका नाम वॉयजर टू है. वह दूसरी दिशा में सूर्य से दूर जा रहा है. 20 अगस्त 1977 को छोड़ा गया वॉयजर टू फिलहाल धरती से 15.29 अरब किलोमीटर दूर है. हालांकि दोनों वॉयजरों की भी उम्र है. वैज्ञानिकों के मुताबिक 2025 में वॉयजरों पर लगे परमाणु संयंत्र काम करना बंद कर देंगे.