सीरिया में लड़ रहे जर्मन चरमपंथियों से खतरा
२९ अप्रैल २०१३बोस्टन का हमला जर्मनी के लिए दो कारणों से दिलचस्प है. एक तो बड़े खेल आयोजनों में सुरक्षा का अनुभव और दूसरे मुल्क के अंदर रहने वाले चरमपंथियों से होने वाला खतरा. बोस्टन धमाकों का एक अभियुक्त छह महीनों के लिए चरमपंथ से प्रभावित इलाके चेचेन्या में गया था, जहां वहां चरमपंथ के संपर्क में आया. जर्मन अधिकारियों ने पहली बार गुरुवार को स्वीकार किया कि सीरियाई शासन के खिलाफ जर्मन चरमपंथी भी लड़ रहे हैं.
बोस्टन में मैराथन के दौरान हुए बम धमाकों के दो हफ्ते बाद जर्मन गृह मंत्री फ्रीडरिष रविवार को अमेरिका के लंबे समय से नियोजित दौरे पर गए हैं, यहां उन्हें घरेलू सुरक्षा मंत्री जैनेट नापोलिटानो, अमेरिकी महाधिवक्ता एरिक होल्डर और राष्ट्रपति बराक ओबामा के उप सुरक्षा सलाहकार लीजा मोनाको से मिलने का कार्यक्रम है.
स्वयंभु जिहादियों की गतिविधियां जर्मनी के लिए चिंता पैदा कर रही हैं. गृह मंत्री फ्रीडरिष के अनुसार सीरिया में इस समय तीन दर्जन जर्मन जिहादी विद्रोहियों की ओर से लड़ रहे हैं. उन्होंने मीडिया को बताया, "उनकी तादाद बढ़ने के रुझान हैं, और अगर यूरोप से वहां गए सारे लोगों को मिलाया जाए तो यह चिंता का कारण है." यूरोपीय संघ के आतंकवाद विरोधी अधिकारी गिल डे केरचोव का मानना है कि यूरोपीय देशों के 500 चरमपंथी सीरिया में लड़ रहे हैं.
जर्मन गृह मंत्री ने साफ किया कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ लड़ने वाले जर्मन चरमपंथियों की गतिविधियां जर्मनी के लिए खतरा हैं. "जब वे वहां होते हैं, उन्हें प्रशिक्षण मिलता है, विस्फोटक, कार बम और हर दूसरा संभव प्रशिक्षण. और निश्चित तौर पर यह खतरा है कि जब वे वापस आएंगे, उन्हें सक्रिय किया जाएगा तो वे अपनी जानकारी को यहां इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे."
सुरक्षा हलकों में कहा जा रहा है कि सुरक्षा अधिकारी तुर्की-सीरिया सीमा पर जर्मनी के इस्लामी कट्टरपंथियों की आवाजाही पर नजर रख रहे हैं. कुछ लोग सिर्फ कुछ दिनों के लिए सीरिया जाते हैं और वापस लौट आते हैं. स्थिति उन जर्मन जिहादियों से अलग है जो अफगानिस्तान या पाकिस्तान जाते थे और वहां लंबे समय तक रहते थे. यह भी देखा गया था कि जर्मनी से कुछ चरमपंथी अपने परिवारों के साथ जाते थे.
एमजे/एएम (डीपीए, एएफपी)