संसदीय उम्मीदवारों पर तालिबान का कहर
२९ अगस्त २०१०संसदीय चुनावों को अफग़ानिस्तान की स्थिरता के लिए अहम माना जा रहा है क्योंकि वहां लंबे समय से हिंसा का दौर चल रहा है. तालिबान के गढ़ माने जाने वाले उत्तरी और पूर्वी इलाकों में खराब सुरक्षा व्यवस्था संसदीय चुनावों के लिए भ्रष्टाचार और धांधली के साथ सबसे बड़ी चुनौती है.
इस चुनौती को तालिबान की उम्मीदवारों को मिल रही धमकियों ने और बड़ा कर दिया है. तालिबान चुन चुन कर उम्मीदवारों का कत्ल कर रहे हैं. अब तक पांच उम्मीदवारों का कत्ल हो चुका है. रविवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने उम्मीदवार हाजी अब्दुल मनान को उस वक्त मार दिया, जब वह हेरात में अपने घर से मस्जिद जा रहे थे. तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
इसी गुरुवार को महिला उम्मीदवार फौजिया गिलानी के लिए प्रचार करने वाले 10 लोग अचानक हेरात के अद्रस्कन ज़िले में गायब हो गए. अधिकारियों ने कहा था कि पता नहीं इन्हें तालिबान ने अगवा किया या राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने, लेकिन चरमपंथियों के प्रवक्ता ने दावा किया है कि तालिबान ने इनमें से पांच को अगवा किया है. बाकी पांच बाद में लौट आए. अद्रस्कन के प्रमुख अधिकारी ने बताया कि बाकी पांच के गोलियों से छलनी शरीर पहाड़ी इलाके में मिले. अधिकारी ने कहा कि यह साफ नहीं है उन्हें किसने मारा. जिला प्रमुख निसार अहमद पोपल के हवाले से रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है कि इन शवों को जांच के लिए अस्पताल भेज दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दो सप्ताह पहले भी तीन उम्मीदवारों को मारा दिया गया था और कई महिला उम्मीदवारों को धमकियां मिल रही हैं. संसदीय चुनावों में 249 सीटों के लिए ढाई हज़ार उम्मीदवार मैदान में हैं. चुनाव अधिकारियों का कहना है कि 6,800 मतदान केंद्रों में से 900 से ज्यादा सुरक्षा कारणों से नहीं खोले जा सके.
संसद में 65 सीटें महिलाओं के लिए तय हैं और इनके लिए 385 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः वी कुमार