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विरोध के सामने झुकी सरकार

२१ फ़रवरी २०१३

भारत में अन्ना के आंदोलन ने भ्रष्टाचार का विरोध किया. बुल्गारिया में भी लोगों ने बढ़ते दामों और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन किए. सरकार ने इस्तीफा भी दिया. लेकिन क्या देश को इस हालत में छोड़ देना जिम्मेदारी का काम है?

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तस्वीर: picture alliance / dpa

"चोर, डाकू, माफिया." बुल्गारिया में हजारों लोगों ने सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन किए. पहले तो वे हीटिंग और बिजली के बढ़ते दामों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे और आखिरकार सरकार को पद से हटने पर मजबूर कर दिया. बुल्गारिया में यूरोपीय संघ के अंदर ऊर्जा के दाम सबसे कम हैं. लेकिन वहां की दो निजी बिजली कंपनियां, चेक गणराज्य की सीईजेड और ऑस्ट्रिया की ईवीएन अब बिजली के रेट बढ़ा रही हैं.

इसका असर यह हुआ कि एक साल में बिजली के दाम दोगुना हो गए. बुल्गारिया में औसत आय करीब 26,000 रुपये हैं, जो यूरोपीय संघ के दूसरे देशों से बहुत कम है. पेंशन में करीब 150 यूरो (11000 रुपये) मिलते हैं. इससे आम लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. सरकार का कहना है कि अगर उन्होंने बिजली के दाम बढ़ाए नहीं तो मुनाफा कमाना मुश्किल हो जाएगा. इसके अलावा बुल्गारिया में बिजली की तारें इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि 25 प्रतिशत बिजली वैसे ही बर्बाद हो जाती है. दामों के बढ़ने की यह भी एक वजह है.

बुल्गारिया में गरीबी

Bulgarien Regierung Rücktritt
तस्वीर: AFP/Getty Images

बोइको बोरिसोव की सरकार 2009 में बनी. 2007 में देश को यूरोपीय संघ में शामिल किया गया. 16 साल बाद यह पहली सरकार है जो अपने शासनकाल खत्म होने से पहले पीछे हट रही है. लेकिन केवल बिजली के दाम लोगों के गुस्से की वजह नहीं थी. सोफिया में कॉनराड आडेनावर फाउंडेशन के मार्को आर्न्ड का मानना है कि बुल्गारिया में लोगों का मानना था कि ईयू में शामिल होने से उनके देश में बहुत ही जल्दी समृद्धि फैलेगी. बुल्गारिया मास्ट्रिक्ट समझौते के सारे वित्तीय शर्तों को पूरा करता है लेकिन वित्तीय स्थिरता देश में लोगों के लिए महंगी पड़ी है. आर्न्ड कहते हैं कि मूलभूत संसाधनों में निवेश नहीं हो रहा और जहां हो रहा हैं, वहां पैसा यूरोपीय संघ से आते हैं. अब भी बुल्गारिया में 15 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं.

म्यूनिख में दक्षिण पूर्वी यूरोप सोसाइटी की योहाना डायमेल कहती हैं कि बिजली के दाम केवल बहाना थे और बुल्गारिया में सरकार की वित्तीय और सामाजिक नीतियों के चूकने से लोगों का गुस्सा भड़का है. लेकिन डायमेल का मानना है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल का ऐसे में इस्तीफा देना भी बहुत जिम्मेदारी का काम नहीं है. देश को यह और खतरे में डाल सकता है, "बोरिसोव जैसे व्यक्ति ने हमेशा दिखाने की कोशिश की है कि वह कितना सक्षम है और प्रदर्शनों में जब जनता का समर्थन खत्म होता दिखता है तो वह बच्चे की तरह सब छोड़ देता है." डायमेल कहती हैं कि बुल्गारिया को अच्छे नेता और स्पष्ट नेतृत्व चाहिए, ऐसी सरकार नहीं जो मुश्किल में पीछे हट जाए.

सरकार ने इस्तीफा क्यों दिया

बोरिसोव को ईयू के करीब माना जाता है. बोरिसोव का खुद कहना है कि वे केवल लोगों की सुनते हैं और अगर उनकी पुलिस शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा का प्रयोग करे, तो वह अपने पद पर रहना पसंद नहीं करेंगे. इसी को वजह बनाकर बुधवार को बोरिसोव ने अपनी सरकार का इस्तीफा सही ठहराया. लेकिन वास्तव में बोरिसोव संसद चुनाव को जुलाई से पहले करवाना चाहते हैं क्योंकि उनकी पार्टी गेर्ब का समर्थन खत्म होता जा रहा है और जुलाई तक हो सकता है कि पार्टी को बहुमत ही नहीं मिले.

लेकिन म्यूनिख से डायमेल कहती हैं कि उग्रवादी और बाकी पार्टियां लोगों को लुभाने की कोशिश करेंगी. इस वक्त सबकुछ राष्ट्रपति रोसेन प्लेवनेलीव के हाथ में है. वह अंतरिम सरकार का गठन कर सकते हैं. लेकिन इससे पहले प्लेवनेलीव बोरिसोव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं और आलोचकों का कहना है कि वह अपने पुराने बॉस की बात ही सुनेंगे.

रिपोर्टः आलेक्सांडर आंद्रेव/एमजी

संपादनः ए जमाल

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