रेड क्रॉस के डेढ़ सौ साल
१५ फ़रवरी २०१३मानवीय कानून के अनुसार अल्फ्रेडो माल्गरेजो की तैनाती का ढ़ांचा साफ है, नियम 56 के अनुसार विवाद में लिप्त पक्षों को मानवीय सहायता देने वाले आधिकारिक कर्मियों के लिए आने जाने की गारंटी करनी होगी. यानि उत्तरी सीरिया में माल्गरेजो के राहत काफिले को भी. लेकिन स्थिति इतनी आसान नहीं. जर्मन रेड क्रॉस के कार्यकर्ता माल्गरेजो कहते हैं, "राहत सामग्रियों से भरे आठ ट्रक थे. विवाद में लगे दलों के साथ सबस कुछ लिखित रूप से तय हो चुका था, फिर अचानक सब कुछ रोक दिया गया."
एक स्थानीय कमांडर ने राहतकर्मियों के मिशन को स्वीकार करने से मना कर दिया. कई दिनों की सौदेबाजी के बाद खाद्य सामग्री और दवाओं को जाने दिया गया. राहतकार्य में 17 साल के अनुभव वाले माल्गरेजो कहते हैं, "मौजूदा विवाद में कुछ तय करना मुश्किल और खतरनाक होता जा रहा है." सीरिया कोई अकेला उदाहरण नहीं है. वह इस बात का सबूत बन रहा है कि मदद पहुंचाना कठिन होता जा रहा है. माल्गरेजो बताते हैं कि पिछले एक साल में अर्धचंद्र संगठन के 8 कर्मचारी मारे गए हैं और दो लापता हैं.
युद्ध क्षेत्र में रेड क्रॉस और दूसरे राहत संगठनों के काम की शर्तें ऐसे समय में तय की गई थीं जब दो देशों की सेनाएं एक दूसरे से लड़ती थीं. स्विस उद्यमी हेनरी दुनांट ने 1863 में युद्ध क्षेत्र में घयल होने वालों की मदद के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि करने की पहल की थी. उसी के साथ रेड क्रॉस आंदोलन का जन्म हुआ. संधि 1864 में जेनेवा में हुई. पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक तक नई संधियों के जरिए इसमें संशोधन किया गया. लेकिन उसके बाद के सालों में लड़ाई का चरित्र बदल गया है.
बदलता विवाद
राजनीतिशास्त्री हेरफ्रीड मुंकलर मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हैं कि इनमें छोटे युद्ध भी शामिल हो गए हैं, "पिछले 20 सालों में निजी टुकड़ियों की भूमिका बढ़ी है, अल कायदा जैसे सशस्त्र गैर सरकारी संगठनों की." सचमुच इस बीच विवाद अस्पष्ट होते जा रहे हैं. मुंकलर का कहना है कि इसका अंतरराष्ट्रीय कानून के अमल पर भी असर हो रहा है, "एक गंभीर मसला लड़ाकू और गैर लड़ाकू टुकड़ियों में अंतर करने का है." कौन लड़ रहा है और किसके खिलाफ लड़ रहा है, ऐसे सवाल परंपरागत लड़ाईयों में नहीं पूछे जाते थे. लेकिन इसका जवाब राहतकर्मियों के लिए बहुत जरूरी है.
जर्मन रेड क्रॉस में विदेशी अभियानों के प्रभारी योहानेस रीषर्ट कहते हैं, "लड़ने वालों के बारे में अस्पष्टता हमारे काम के बारे में समझौते करने को मुश्किल बनाता है." समस्या अंतरराष्ट्रीय कानून की नहीं है, बल्कि राहत पर अमल की है. इसकी वजह से राहत संगठनों के काम में ही बाधा नहीं आती, अक्सर कर्मचारियों को भी निशाना बनाया जाता है.पिछले महीनों में रेड क्रॉस कर्मचारियों की हत्या और अपहरण भी यह बात साबित करती है. इनका सामना करने के लिए जर्मन रेड क्रॉस ने गहन सुरक्षा प्रबंधन का रास्ता अपनाया है. दो साल से एक सुरक्षा अधिकारी का पद है जो खतरे का आकलन करता है और निरोधक कदम उठाता है.
तटस्थता और गोपनीयता
रेड क्रॉस की जिम्मेदारी पिछले सालों में शायद ही बदली है. उनका काम है युद्ध क्षेत्र में घायलों तक पहुंचना और उनकी मदद करना. रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट जैसे संगठनों से तटस्थ, शांतिपूर्ण और बिना हथियार के होने की उम्मीद की जाती है. रीषर्ट कहते हैं कि तटस्थता की भावना हमेशा विरोधी की होती, इसका ध्यान रखना पड़ता है. रेड क्रटस के काम में उन राहत संगठनों के काम से भी बाधा पहुंचती है जो संकट क्षेत्र में दूसरे हितसाधन कर रहे होते हैं और मिसाल के तौर पर मिशनरी लक्ष्य से पहुंचते हैं. यह छापामारों को असुरक्षित कर देता है और वे रेड क्रॉस को भी संदेह की नजरों से देखने लगते हैं.
रेड क्रॉस के प्रितनिधि रीषर्ट कहते हैं कि विवाद में लगे सभी पक्षों को यह बात साफ होनी चाहिए कि जरूरतमंमद लोगों के लिए मदद उनके लिए कोई नुकसान नहीं है, तभी वे रेड क्रॉस को अपना काम करने देने के लिए तैयार होंगे. लेकिन यह समझाना आसान नहीं है. सीरिया में सरकारी टुकड़ियां ढेर सारे धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष गुटों के खिलाफ लड़ रही है. यमन में आतंकी गिरोह और कबीलाई संगठन केंद्रीय सत्ता के खिलाफ लड़ रहे हैं, तो सोमालिया में सरकार है ही नहीं, ऐसी स्थिति में बातचीत के लिए साथी ढूंढ़ना मुश्किल है. रीषर्ट कहते हैं, "हमें नियमित रूप से चुपचाप इसके लिए काम करना होता है कि विवाद में लगे दल हम पर भरोसा करें." रेड क्रॉस का एक फायदा है कि उसकी हर देश में शाखा है. स्थानीय शाखाओं की वजह से स्थित गंभीर होने से पहले भी संपर्क बना रहता है.
रिपोर्ट: हाइनर कीसेल/एमजे
संपादन: ईशा भाटिया