लॉकडाउन से कोलकाता में थमी जिंदगी की रफ्तार
२४ मार्च २०२०82 साल के सुशोभन कर्मकार ने मंगलवार को आघे घंटे से दूध के लिए लगी लंबी कतार में यह बात कही. कोरोना संक्रमण के आठ मामले सामने आने और सोमवार को इससे 57 साल के एक व्यक्ति की मौत होने के बाद पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में सन्नाटे का आलम है. न ट्रेन और न ही बसें. वर्ष 1984 में शुरू होने वाली कोलकाता मेट्रो के पहिए भी थम गए हैं. फिलहाल 27 मार्च को आधी रात तक यह लॉकडाउन जारी रहेगा. इस बीच, पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में सोमवार शाम से ही 255 लोगों को गिरफ्तार किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील पर मंगलवार आधी रात से घरेलू उड़ानें भी बंद हो जाएंगी. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर तो पहले ही 31 मार्च तक पाबंदी लगाई जा चुकी है. इस लॉकडाउन से चारों ओर जीवन थम-सा गया है.
बाजार में अफरातफरी
पश्चिम बंगाल सरकार ने बीते सप्ताह कोरोना से पीड़ित मरीजों के सामने आने के बाद ही राज्य में महामारी अधिनियम लागू कर दिया था. लेकिन उसके बाद हालात बिगड़ते देख कर केंद्र सरकार ने देश के 75 जिलों में लॉकडाउन का फैसला किया था. इनमें बंगाल के 23 जिले भी शामिल हैं. लॉकडाउन से पहले सोमवार को बाजार खुलने पर लोग आतंकित होकर खाने-पीने के सामानों की खरीदारी करते नजर आए इस वजह से आलू-प्याज और अंडे समेत कई जरूरी चीजें दो घंटे के भीतर ही बाजारों से गायब हो गईं.
एक मछली विक्रेता सुबल पाल कहते हैं, "मैं तीस साल यह काम कर रहा हूं. इससे पहले भी कई बार बंद, हड़ताल और कर्फ्यू देखा है. लेकिन लॉकडाउन पहली बार देख रहा हूं.” वह बताते हैं कि लॉकडाउन का सही मतलब नहीं जानने की वजह से लोग आतंकित होकर कम से कम 31 मार्च तक का स्टॉक जुटाने में लगे हैं. नतीजतन कीमतें काफी बढ़ गई हैं. अमूमन 15 से 20 रुपए किलो तक बिकने वाला आलू भी कई जगह सौ-सो रुपए किलो बिका.
टालीगंज इलाके में रहने वाली सुष्मिता साहा (65) बताती हैं, "लॉकडाउन का पता चलते ही सोमवार सुबह से ही बाजारों में भारी भीड़ जमा हो गई थी. लोग थोक में सब्जियां खरीद रहे थे. इस वजह से कीमतें तीन गुनी तक बढ़ गईं.” इसी तरह बालीगंज में एक ग्रोसरी स्टोर चलाने वाले सुविनय मंडल बताते हैं, "बीते दो-तीन दिनों से बिक्री अचानक तेज हो गई थी. लेकिन सोमवार को तो सारी हदें टूट गईं. अमूमन एक किलो खरीदने वाले लोग भी दस-दस किलो सामान खरीद रहे थे. सब लोग डरे हुए हैं कि पता नहीं लॉकडाउन कितने दिनों तक चलेगा और उस दौरान खाने-पीने का सामान मिलेगा या नहीं.” सरकार की ओर से बार-बार जरूरी खाद्यान्नों की उपलब्धता का भरोसा देने के बावजूद आम लोगों को इसका भरोसा नहीं हो रहा है.
लॉकडाउन शुरू होने के बाद मंगलवार को कोलकाता के बाजारों में हैरत भरा बदलाव नजर आया. प्रशासन के निर्देश पर तमाम दुकानों में लंबी कतारें लगी थीं और किसी को भी जरूरत से ज्यादा सामान नहीं दिया जा रहा था. मिसाल के तौर पर दूध की दुकान पर हर व्यक्ति के लिए दो-दो पैकेट यानी एक किलो दूध दिया जा रहा था. इसी तरह आलू की दुकानों पर किसी को दो किलो से ज्यादा आलू नहीं दिया गया. बाजारों में लोगों के होने के बावजूद एक अजीब-सा सन्नाटा बिखरा रहा. मुंह पर मास्क लगाए लोग एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी पर खड़े थे और कोई किसी से बात भी नहीं कर रहा था. दवा की दुकानों पर भी पूरे दिन यही नजारा रहा.
सर्वदलीय बैठक
इस दौरान न तो कहीं निजी वाहन नजर आया और न ही बिना जरूरत के टहलते लोग. सड़कों पर पुलिस या प्रेस के वाहन ही नजर आ रहे थे. पुलिस भी हर जगह लाउडस्पीकर पर लोगों से बिना जरूरत के बाहर नहीं निकलने का अनुरोध कर रही थी. कोलकाता में सोमवार को कोरोना पीड़ित एक व्यक्ति की मौत के बाद आम लोगों में आतंक और बढ़ गया है. कोलकाता समेत राज्य के तमाम शहरों में अखबारों की सप्लाई मंगलवार से अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई है. तमाम हाउसिंग कालोनियों के दरवाजे भी बंद हैं. घर में काम करने वाली नौकरानियों ने भी आना बंद कर दिया है. हाउसिंग कालोनियों से लेकर अस्पतालों तक गेट पर सैनिटाइजर रखा है. भीतर जाने से पहले लोगों को वहां रखे फार्म में अपना पूरा ब्योरा और हालिया दिनों में की गई यात्राओं का जिक्र करना अनिवार्य कर दिया गया है.
इस बीच सरकार ने मौजूदा हालात पर विचार-विमर्श के लिए सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इसमें बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम समेत सभी विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का भरोसा दिया. सभी दलों ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि संकट के इस समय में इस महामारी से मुकाबले के लिए राज्य सरकार जो भी कदम उठाएगी उसका वह समर्थन करेंगे. अधिकतर दलों ने राज्य सरकार की ओर से कोरोना से निपटने को उठाए गए कदमों की भी सराहना की. बैठक में बताया गया कि लॉकडाउन के तहत एक परिवार के एक ही सदस्य को जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाहर निकलने की इजाजत होगी. बैठक में दिहाड़ी मजदूरों को प्रति परिवार 1500 रुपए की नकद सहायता और प्रति व्यक्ति 12 किलो गेंहू की आपूर्ति करने का भी फैसला किया गया. ममता बनर्जी सरकार पहले ही गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को छह महीने तक राशन से मुफ्त गेहूं व चावल देने का एलान कर चुकी है.
दो नए मामले
पश्चिम बंगाल में मंगलवार को कोरोना वायरस के दो और मामले सामने आए. इससे राज्य में इस महामारी के कुल आठ मामले हो गए हैं. राज्य के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि दोनों मरीज हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे थे. इनमें एक ब्रिटेन और दूसरा मिस्र से लौटा है. उनको कोलकाता में बेलियाघाट के संक्रामक रोग अस्पताल के पृथक वार्ड में रखा गया है. पहली जांच में दोनों संक्रमित पाए गए हैं. दूसरी जांच के लिए नमूने भेजे गए हैं. उनके नतीजों का इंतजार है. ममता बनर्जी सरकार कोलकाता स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) को पूरी तह कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए आइसोलेशन केंद्र के तौर पर तैयार करना चाहती है. यहां अब नए मरीजों को दाखिला नहीं दिया जा रहा है. पहले से दाखिल मरीजों को धीरे-धीरे दूसरे सरकारी अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है. ममता ने कहा, "सरकार इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना की चपेट में आने वाले मरीजों के लिए तीन हजार बिस्तर तैयार रखेगी.”
कोलकाता में मेडिकल स्टोर्स में सैनिटाइजर की भारी किल्लत के बाद कोलकाता के कई कालेजों में विज्ञान के शिक्षकों ने लैब में उपलब्ध अल्कोहल की सहायता से सैनिटाइटर बनाया है और उसे जरूरतमंदों में बांट रहे हैं. राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से बहाल रखने के लिए तमाम अस्पतालों को डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्य कर्मचारियों को अस्पतालों के पास बने होटलों और गेस्टहाउसों में रखने का निर्देश दिया है. इससे संक्रमण का खतरा घटेगा और स्वास्थ्य कर्मचरियों को आने-जाने में दिक्कत भी नहीं होगी. कोरोना संक्रमण के अंदेशे से मंदिर प्रबंधन ने दुनिया भर में मशहूर कालीघाट मंदिर को मंगलवार सुबह से बंद करने का फैसला किया है. यह मंदिर कोलकाता की पहचान है.
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