पुलिस ने शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल को खाली कराया
२४ मार्च २०२०दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 101 दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन को पुलिस ने मंगलवार को हटा दिया. शाहीन बाग में मुख्य रूप से महिलाएं शांतिपूर्ण तरीके से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए),राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध कर रही थीं. वे पिछले 101 दिनों से सरकार से सीएए को वापस लेने की मांग कर रही थीं. पिछले दिनों पुलिस ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए उनसे विरोध प्रदर्शन खत्म करने का आग्रह किया था. हालांकि महिलाओं ने पुलिस की बात नहीं मानी और धरने पर डटी रहीं, हालांकि उन्होंने वायरस के संक्रमण से बचने के लिए धरना में शामिल होने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या सीमित जरूर कर दी, एक से दूसरे के बीच की दूरी तय कर दी गई और हैंड सैनेटाइजर और मास्क का इस्तेमाल नियमित रूप से होने लगा था.
24 मार्च की सुबह भारी संख्या में पुलिस बल ने शाहीन बाग के धरना स्थल पर पहुंचकर वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों को हटा दिया. एक अधिकारी ने बताया, "बार-बार कहने के बावजूद वे लोग नहीं हट रहे थे. जब उन्होंने हटने से इनकार किया तो उन्हें जबरन वहां से हटा दिया गया." अधिकारी का कहना है कि दिल्ली में धारा 144 लागू होने की वजह से भारी संख्या में लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध है. पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है.
शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने वाली फातिमा कहती हैं, "कोरोना वायरस की आड़ लेकर हमारे धरने को खत्म किया गया है. 23 मार्च की शाम मैं भी धरना स्थल पर मौजूद थी, जब पुलिस ने धमकी दी थी कि अगर हम नहीं उठे तो पुलिस उन्हें डंडे मारकर हटाएगी. हमने अनुरोध किया था कि हमें 24 मार्च की सुबह 10 बजे मीटिंग तक का समय दिया जाए, जिसमें अपने धरने को एक-दो हफ्ते आगे बढ़ाने का फैसला कर लेंगे लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी और सुबह पुलिस ने तोड़ फोड़ कर जुल्म और ज्यादती का प्रदर्शन किया."
दो दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की थी. देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकारें सजग हैं और वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अभूतपूर्व कदम उठा रही हैं. एक और प्रदर्शनकारी रिजवां खालिद कहती हैं, "शाहीन बाग प्रशासन की आंखों में पहले से ही खटकता आया है और कोरोना वायरस का बहाना बनाकर विरोध प्रदर्शन को खत्म किया गया. औरतों के साथ इस तरह की ज्यादती नहीं होनी चाहिए थी."
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जाफराबाद, तुर्कमान गेटऔर निजामुद्दीन में भी 100 दिनों से प्रदर्शन चल रहा था, लेकिन अब पुलिस ने महामारी को देखते हुए कड़े आदेश के बाद सभी प्रदर्शन खत्म करा दिए हैं. शाहीन बाग में महिलाएं 15 दिसंबर 2019 से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठी हुईं थीं और इस कारण दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाला रास्ता बंद हो गया था, मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा और उसके बाद कोर्ट ने दो मध्यस्थ वकील भी नियुक्त किए थे लेकिन मसला हल नहीं हो पाया था.
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