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रेल बजट संसद में, निगाहें राइटर्स बिल्डिंग पर

२४ फ़रवरी २०११

रेल मंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार को जब संसद में रेल बजट पेश करेंगी तो उनकी निगाहें बंगाल में सत्ता के केंद्र राइटर्स बिल्डिंग पर होंगी. रेल मंत्री ने पश्चिम बंगाल का हरदम खास ख्याल रखा है. पर इस साल वहां चुनाव भी हैं.

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क्या होगा दीदी के बजट मेंतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

पश्चिम बंगाल राज्य में होने वाले अहम विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता परिवर्तन के दावों के दौर में यह बजट ममता का आखिरी चुनावी हथियार होगा. इसलिए राज्य पर परियोजनाओं और सुविधाओं की बारिश तय है. यह बजट ममता की एकतरफा सत्ता यानी राइटर्स बिल्डिंग एक्सप्रेस हो सकती है.

रेलवे की बाकी परियोजनाओं का खुलासा तो बजट के बाद ही होगा. लेकिन एक बात जो तय है वह यह कि इस साल भी रेल का किराया नहीं बढ़ेगा. यही बात ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख यूएसपी और चुनावी मुद्दा बन सकती है. ममता बीते साल भर से रोजाना राज्य में रेलवे की किसी न किसी परियोजना का शिलान्यास या उद्घाटन करती आ रही हैं. इसके लिए अखाबारों को करोड़ों के विज्ञापन बांटे गए हैं. उन पर बंगाल को तरजीह देने के आरोप तो लगे ही हैं.सीपीएम उन्हें देश की नहीं, बल्कि बंगाल की रेल मंत्री भी कह चुकी है. बंगाल में व्यस्तता के चलते वह केंद्रीय मंत्रिमंडल की दर्जनों बैठकों में शिरकत नहीं कर सकी हैं.

रेल मंत्री का रिकॉर्ड

सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम कहते हैं कि महज शिलान्यास करने से राज्य को कोई फायदा नहीं होगा. उन परियोजनाओं पर काम भी होना चाहिए. सलीम आरोप लगाते हैं कि रेलवे के पास पैसा नहीं होने के बावजूद रेल मंत्री रोजाना नई नई परियोजनाएं शुरू करने का एलान कर रही हैं. ममता ने रेलवे को राष्ट्रीय नेटवर्क की बजाय स्थानीय नेटवर्क बना दिया है.

Flash-Galerie Indien Eisenbahn Zug in New Delhi
इस बार भी यात्री भाड़ा बढ़ने के आसार नहीं हैंतस्वीर: AP

लेकिन रेल मंत्री को इन आरोपों की कोई परवाह नहीं है. रेल मंत्री के तौर पर ममता के दामन में अब तक तक अगर कामयाबियां रही हैं तो नाकामियों ने भी उनका पीछा नहीं छोड़ा है. बीते साल के बजट में किए गए कई वादे तो पूरे हो गए हैं. उन्होंने देश भर में 24 दूरंत ट्रेनें चलाने का एलान किया था. उनमें से 20 चलने लगी हैं. इसी तरह 584 प्रस्तावित आदर्श स्टेशनों में से साढ़े तीन सौ से ज्यादा का काम पूरा हो गया है. लेकिन इनके साथ ही कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनको वह शायद भूलना चाहेंगी. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा रेल हादसों का है. बीते दो वर्षों के उनके कार्यकाल के दौरान हुए ढाई सौ ऐसे हादसों में 574 लोगों मारे जा चुके हैं. विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने का काम अभी भी फाइलों में ही दबा है. इसके अलावा निजी क्षेत्र के साथ मिल कर लगाई जाने वाले रेलवे की ज्यादातर परियोजनाओं के लिए अब तक जमीन का आवंटन नहीं किया गया है.

चुनावी होगा बजट

ममता अपने बजट में राज्य पर परियोजनाओं की बौछार तो करेंगी ही, महानगर के दो छोरों-हावड़ा व सियालदह को जोड़ने की योजना का भी एलान कर सकती हैं. रेलवे सूत्रों के मुताबिक ममता छात्रों के लिए विशेष ट्रेनों का भी एलान कर सकती हैं. रेल मंत्री ने बजट में प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए केंद्र से 39 हजार करोड़ रुपए मांगे थे. लेकिन वित्त मंत्रालय ने 20 हजार करोड़ की ही मंजूरी दी है.
सूत्रों का कहना है कि लंबे अरसे से किराया नहीं बढ़ने और थोक भाव में नई परियोजनाएं और सेवाएं शुरू होने की वजह से रेलवे फिलहाल वित्तीय तंगी से गुजर रहा है. ऐसे में आंतरिक संसाधनों से राजस्व जुटाने के कुछ उपायों का एलान भी किया जा सकता है. इसी तरह राज्य के युवा वोटरों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए नई ट्रेनों व रियायतों का एलान भी हो सकता है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता ने रेल मंत्री के तौर पर अपने पिछले बजट को भी लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया था. इस बार तो राज्य विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए रेल के बजट के मीठी चुनावी चाशनी में लिपट कर पेश किए जाने की संभावना है. ममता की यह चुनावी एक्सप्रेस दो महीने बाद होने वाले चुनाव में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में कितना कामयाब रहती है यह तो बाद में पता चलेगा. लेकिन अपनी ओर से वह बजट को चुनावी या राइटर्स एक्सप्रेस बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी, यह तो तय है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः ए कुमार

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