मोदी को घेरने के लिए जांच आयोग
२६ दिसम्बर २०१३मामला गुजरात में एक युवती की जासूसी का है. गुरुवार को केंद्र ने इस जासूसी कांड के लिए एक आयोग गठित किया. केंद्र के मुताबिक जासूसी कांड बताता है कि गुजरात में टेलीग्राफ एक्ट का उल्लंघन हुआ. सरकार का कहना है कि कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट की धारा तीन के तहत केंद्र को इस मामले की जांच के लिए आयोग बनाने का अधिकार है.
आयोग की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे. आयोग तीन महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट देगा. राज्य सरकारों को राज्य के भीतर निजी संवाद पर नजर का अधिकार है, लेकिन राज्य के बाहर ऐसा करना गैरकानूनी है. ऐसे मामलों में केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है. भारत में मई 2014 में संसदीय चुनाव होने हैं. उससे पहले आयोग की जांच रिपोर्ट आ जाएगी.
बुधवार को गुलेल डॉट कॉम नाम की एक वेबसाइट ने जासूसी कांड के मामले में कुछ खुलासे करने का दावा किया. वेबसाइट के मुताबिक युवती की जासूसी गुजरात के अलावा 2009 में कर्नाटक में भी की गई है. उस वक्त कर्नाटक में बीजेपी की सरकार थी. यह मामला सामने आने के बाद गुजरात सरकार ने भी दो सदस्यीय जांच आयोग बनाया है. आयोग की अध्यक्ष गुजरात हाई कोर्ट की पूर्व जज हैं.
केंद्र के जांच आयोग बनाने पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. पार्टी ने इसे फासीवादी कदम बताया है. बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, "यह साफ तौर पर राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है, बदले की कार्रवाई है. साफ तौर पर यह फासीवादी कांग्रेस की इमरजेंसी जैसी सोच का नतीजा है." बीजेपी के मुताबिक यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है. पार्टी ने इसे संघीय ढांचे पर प्रहार बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने की भी बात कही है.
बुधवार को सरकार ने एक तरफ जहां जांच आयोग से मोदी को घेरने की कोशिश की तो वहीं दूसरी ओर गुजरात के मुख्यमंत्री को एक मामले में बड़ी राहत मिली. अहमदाबाद की एक अदालत ने मोदी को 2002 के दंगों में क्लीन चिट दे दी. गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी की याचिका अदालत ने खारिज कर दी. इस मामले में विशेष जांच टीम ने पहले ही मोदी को क्लीन चिट देते हुए मामला बंद करने की सिफारिश की थी. इसके खिलाफ जकिया जाफरी अदालत गईं थीं.
ओएसजे/एमजे (पीटीआई)