नरेंद्र मोदी की हैट ट्रिक
२० दिसम्बर २०१२दस साल पहले के दंगों में फंसे होने के बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने अपना करिश्मा दोहरा दिया और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का उनका रास्ता साफ हो गया है. इसके साथ ही वह बीजेपी इतिहास के सबसे बड़े नेताओं में शामिल हो गए हैं. मोदी के नाम की चर्चा 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चल रहा है और इस भारी जीत के साथ उनकी दावेदारी मजबूत हो सकती है.
गुजरात में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर एक तिहाई सीटों पर ही जीत हासिल करती दिख रही है, जबकि मोदी की अगुवाई में बीजेपी इससे दोगुनी सीट लेती दिख रही है. मोदी की जीत पहले से पक्की मानी जा रही थी, जिन्होंने हिन्दुत्व नहीं, बल्कि विकास के नाम पर वोट मांगा है. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनकी स्वीकृति पर अब भी सवाल उठ रहे हैं, खास कर 2002 के दंगों में उनकी भूमिका को लेकर.
2002 दंगों का दाग
करीब छह करोड़ की आबादी वाला गुजरात भारत में सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में शामिल है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान 10 साल पहले के मुस्लिम विरोधी दंगों से होती है, जिसमें कम से कम 2000 लोग मारे गए थे. इनमें से ज्यादातर मुसलमान थे.
दुनिया भर में मशहूर अहमदाबाद के आईआईएम में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर सेबास्टियन मॉरिस का कहना है, "मोदी ने इस बात को साबित कर दिया है कि अब वह खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर और मजबूती से प्रोजेक्ट कर सकते हैं. उनका काट खोजने के लिए कांग्रेस को अब और ज्यादा मेहनत करनी होगी."
हालांकि गुजरात के मुख्यमंत्री ने खुल कर खुद को कभी भी प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं बताया है लेकिन बीजेपी के अंदर हाल के दिनों में उनकी शक्ति सबसे ज्यादा हो गई है. पार्टी के ज्यादातर लोग उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की बात करते हैं, जबकि दो बार से केंद्र में सत्ता पर काबिज कांग्रेस हाल के दिनों में बढ़ती महंगाई और दर्जनों घोटालों की वजह से बैक फुट पर आ चुकी है.
बदलनी होगी पहचान
हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि 2002 के दंगों की वजह से मोदी की पहचान एक कट्टर हिन्दू नेता के तौर पर बन गई है और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत में उन्हें हर जगह स्वीकार नहीं किया जा सकता है. गुजरात दंगा भारत की आजादी के बाद सबसे वीभत्स दंगों में गिना जाता है.
मोदी को 2001 के आखिरी दिनों में गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था और तकनीकी तौर पर वह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. उनके सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही गुजरात में दंगे हुए थे. सामाजिक संस्थाओं का आरोप है कि मोदी सरकार ने दंगाइयों की खुल कर मदद की और पुलिस व्यवस्था चुपचाप बैठी रही. हालांकि मोदी इन आरोपों से इनकार करते हैं पर दुनिया भर में उनकी छवि पर बट्टा लगा है. अमेरिका ने उन्हें इस घटना के बाद से वीजा नहीं दिया है.
जेएनयू के राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर प्रलय कानूनगो का कहना है, "किसी एक राज्य में बड़ी सफलता का मतलब यह नहीं हो सकता है कि पार्टी पूरे राष्ट्र में उस व्यक्ति को नेता के तौर पर आगे बढ़ाए. उनके लिए बड़ी चुनौती है कि वे अपनी पार्टी के अंदर के असंतुष्टों और सहयोगी पार्टियों को रजामंद करें. अगर उन्हें 2014 में बीजेपी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनना है, तो उन्हें अपनी कुशलता दिखानी होगी."
एजेए/एमजे (पीटीआई, एएफपी)