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मोदी के कहने पर हुए दंगेः आईपीएस अधिकारी

२२ अप्रैल २०११

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजय भट्ट ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल बताया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह बात कही है. एसआईटी पर सच छिपाने के आरोप लगाए.

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मोदी पर फिर उठे सवालतस्वीर: UNI

भट्ट का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में इसलिए जाना पड़ा क्योंकि इस कांड की छानबीन के लिए बनी विशेष जांच टीम (एसआईटी) पर उन्हें भरोसा नहीं है. अपने हलफनामे में भट्ट ने जांच एजेंसियों पर गुजरात सरकार को बचाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि इस मामले में मौजूद जानकारी पर काम नहीं किया जा रहा है. भट्ट का दावा है कि वह 27 फरवरी 2007 को मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में मौजूद थे जिनमें मोदी ने अपने अधिकारियों को इस मामले पर ज्यादा तवज्जो न देने को कहा.

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों को जलाया गया था. डिब्बों में अयोध्या से लौट रहे कई कारसेवक थे. इस घटना के बाद राज्य में दंगे भड़क उठे जिनमें खास तौर से मुसलमानों को निशाना बनाया गया.

टीवी की खबरों के मुताबिक उस रात भट्ट समेत आठ अधिकारियों के साथ बैठक में मोदी ने आदेश दिया, "मुसलमानों को सबक सिखाया जाना चाहिए." इसके बाद मोदी ने अपने अधिकारियों से कहा कि गुजरात पुलिस दंगों के सिलसिले में हिंदू और मुसलमानों पर कार्रवाई में संतुलन के सिद्धांत पर अमल कर रही है. भट्ट के मुताबिक, "उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इसलिए सबक सिखाया जाना जरूरी है ताकि वे भविष्य में ऐसा करने की कोशिश न करें. मोदी ने कहा कि हिंदुओं में भावनाएं बहुत प्रबल हैं और जरूरी है कि उन्हें अपने गुस्से को निकालने की अनुमति दी जाए."

भट्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि उन्होंने 2002 में आंखें बंद कर मोदी की बात मानी. उन्होंने कहा कि अब विशेष जांच टीम सच को छिपाने की कोशिश कर रही है और गोधरा दंगों के पीछे की साजिश को सामने नहीं ला रही है. भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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