महायुद्ध पीड़ितों के अरबों रुपये चट कर गए 17 लोग
१० नवम्बर २०१०अमेरिकी एटॉर्नी प्रीत भरारा ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में एफबीआई की जांच के बाद इसे लंबे समय से चल रहा घोखाधरी का मामला बताया. जिन 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है उनमें फंड के एक पूर्व निदेशक भी हैं. भरारा ने उन पर 5500 आवेदनों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इन लोगों ने अरबों रुपये की गड़बड़ियां कीं. एफबीआई के मुताबिक इन लोगों ने पूर्वी और मध्य यूरोप के बूढ़े प्रवासियों को अपने गिरोह में शामिल किया और उनसे मुआवजे के दावे डलवाए. ये दावे क्लेम्स कॉन्फ्रेंस नाम की एक संस्था के जरिए कराए गए जो नाजी उत्पीड़न को जर्मन सरकार द्वारा मुआवजे दिलाने में मदद करती है.
आरोप लगाया गया है कि इन साजिश करने वालों ने नकली कहानियां बुनीं और फर्जी दस्तावेज तैयार किए. इस तरह 5500 फर्जी दावे पेश किए गए जिनके जरिए 3600 डॉलर एकमुश्त मिलने थे. जांच बताती है कि साल 2000 से 2009 के बीच ऐसे 4957 दावे मंजूर भी हो गए.
ऐसी 650 अर्जियां एक अन्य प्रकार के मुआवजे में की गईं जिसके तहत नाजी पीड़ितों को हर महीने 411 डॉलर दिए जाने का प्रावधान है. यह मुआवजा ऐसे लोगों को मिलता है जो नकली नामों के साथ यहूदी बस्तियों या प्रताड़ना शिविरों में रहे.
एफबीआई के असिस्टेंट डायरेक्टर जेनिस के फेडारसिक ने बताया कि जर्मन सरकार ने पीड़ितों की मदद के लिए जो फंड बनाए थे उन्हें कुछ लालची लोगों ने साफ कर दिया और जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचने दिया. आरोपियों में फंड के पूर्व डायरेक्टर भी शामिल हैं. कॉन्फ्रेंस ऑन द ज्यूइश मटिरियल क्लेम्स अगेंस्ट जर्मनी नाम की संस्था के भी छह कर्मचारी आरोपी बनाए गए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा