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नाज़ी अत्याचार को याद करता जर्मनी

१० नवम्बर २००८

जर्मनी के इतिहास में शर्मनाक अध्याय कहे जाने वाले क्रिस्टलनाख्ट की बरसी पर जर्मनी में शोक सभाओं का आयोजन किया जा रहा है. 70 साल पहले 9 नवंबर 1938 के दिन ही जर्मनी में यहूदी विरोधी भावनाएं भड़की थी.

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क्रिस्टलनाख्ट से ही जर्मनी में यहूदियों के बुरे वक़्त की शुरूआत हुईतस्वीर: AP

क्रिस्टलनाख्ट को "नाइट ऑफ़ ब्रोकन ग्लास" भी कहा जाता है और इसके बाद से ही जर्मनी में यहूदियों पर अत्याचार की शुरूआत हुई. 70 साल बाद इसको याद करते हुए शोकसभा में रविवार को चांसलर एंगेला मैर्केल और यहूदी नेता जर्मनी के सबसे बड़े यहूदी पूजा स्थल (सिनेगॉग) में एकत्र होंगें और क्रिस्टलनाख्ट में मारे गए लोगों को श्रृद्धांजलि अर्पित करेंगें.

चांसलर एंगेला मैर्केल ने जर्मनवासियों से आग्रह किया है कि उन्हें रंगभेद और यहूदियों के ख़िलाफ़ अभियान का विरोध करना चाहिए. एंगेला मैर्केल ने कहा,”कि 9 नवंबर को हम क्रिस्टलनाख्ट की 70 वीं बरसी के तौर पर याद कर रहे हैं. जर्मन सरकार यहूदियों की केंद्रीय परिषद के साथ मिलकर इस दिन को याद कर रहा है. हमें पता है कि इस दिन अपमानजनक बातें शुरू हुईं जिसके बाद होलोकॉस्ट की शुरूआत हुई. बहुत से जर्मन 9 नवंबर 1938 को ख़ामोश रहे लेकिन उस वक़्त भी ऐसे लोग थे जिन्होंनें तभी कहा था कि भविष्य में यहूदियों का अंजाम कितना बुरा हो सकता है."

Rabbiner stehen am 31. Aug. 2007 in Berlin nach dem feierlichen Einzug zur Eroeffnung der groessten deutschen Synagoge in der Rykestrasse
मुख्य शोकसभा बर्लिन में होगीतस्वीर: AP

रविवार को मुख्य समारोह बर्लिन के रायकट्राशा सिनेगॉग में होगा जिसे मरम्मत के बाद 2007 में फिर से खोल दिया गया था. बर्लिन में यहूदी विरोधी भावना के दौरान ये उन कुछ यहूदी इमारतों में से है जो नाज़ियों का निशाना बनने से बच गए थे.

जर्मनी में यहूदियों की सैंट्रल काउंसिल की नेता शार्लट क्नोब्लोक ने आशा जताई है कि 7 दशक पहले की गई ज़्यादतियों को याद करने से जर्मन समाज में सहिष्णुता की भावना मज़बूत होगी. क्रिस्टलनाख्ट के दौरान शार्लट महज़ 6 साल की थी. 9 नवंबर 1938 को नाज़ियों ने यहूदियों की दुकानों को नुक़सान पहुंचाया, 200 से ज़्यादा यहूदी उपासना स्थलों (सिनेगॉग) को जलाया गया और 30,000 यहूदियों को जेल भेज दिया गया था. हिंसा में 90 यहूदियों की मौत हो गई थी.

पेरिस में यहूदी छात्र ने जर्मन राजनयिक की हत्या कर दी थी जिसके बाद यहूदियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा बढ़ गया था. यहूदी छात्र जर्मनी से 15,000 यहूदियों को देश निकाला दिए जाने का बदला लेना चाहता था. उसके बाद से ही लगने लगा था कि जर्मनी में यहूदियों के ख़िलाफ़ बुरे समय की शुरूआत हो गई है. क्रिस्टलनाख्ट के तीन साल बाद ही नाज़ियों ने यातना शिविरों की शुरूआत की जिसमें अनुमान है कि 60 लाख से ज़्यादा यहूदियों मारे गए थे. 1990 में एकीकरण के बाद जर्मनी ने पूर्व सोवियत संघ से यहूदी आप्रवासियों को देश में आने की अनुमति दी और अब जर्मनी में यहूदियों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है.