मंथन में भगदड़ पर जानकारी
२३ अगस्त २०१३2010 में जर्मन शहर डुइसबुर्ग में लव परेड का आयोजन हुआ, जो कि एक डांस फेस्टिवल है. इस दौरान जर्मनी भर से युवा आए. आम तौर पर यह फेस्टिवल सड़कों पर होता है लेकिन भीड़ को कंट्रोल करने के लिए आयोजकों ने डुइसबुर्ग में एक मैदान तैयार किया. यहां आने जाने के लिए एक ही टनल बनाई गई. अनुमान के मुताबिक शाम के पांच छह बजे के करीब आने वालों की संख्या करीब 90,000 तक लगाई गई और जाने वालों की 50,000. टनल के मोड़ 90 डिग्री पर थे ताकि बहुत लोग एक साथ नहीं निकल सकें. आयोजकों ने तय किया कि फेस्टिवल में केवल ढाई लाख लोग शामिल होंगे, लेकिन पर्यटकों और नाच गाना पसंद करने वाले युवाओं को मिलाकर दस लाख से ज्यादा लोग आ गए. भीड़ बढ़ी तो पुलिस उसे नियंत्रित नहीं रख पाई और 21 लोग मारे गए, कई घायल हुए.
इसके विपरीत आज से 2000 साल पहले सन 70 में रोमन शासक वेस्पासियन ने कोलोसियम का निर्माण शुरू किया. इसमें करीब 70,000 दर्शक बैठ सकते हैं और निकलने के लिए 76 निकास द्वार हैं. आपातकालीन स्थिति में पांच मिनट के अंदर इसे खाली किया जा सकता है. बड़े आयोजनों में मौसम में बदलाव और लोगों के व्यवहार का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. क्या वह नाचते हुए जाएंगे, क्या उन्होंने शराब पी रखी होगी, क्या बारिश हो सकती है. भीड़ से निपटने के लिए जर्मनी में किस तरह की रिसर्च की जा रही है, जानेंगे इस बार मंथन में.
लकड़ी के बुरादे से बिजली
लकड़ी के बुरादे से बिजली बन सकती है, यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी लगती है, लेकिन यह संभव है. दक्षिण अफ्रीका में फलों की प्रोसेसिंग करने वाली एक कंपनी ने अपनी फैक्ट्री में इसकी शुरुआत की और हर साल आठ टन कोयला बचाने लगी. क्या है यह तरीका और कैसे बन रही है बिजली बताएंगे आपको मंथन में. ऐसी खास लकड़ी की पहचान भी कराएंगे जो वायलिन बनाने के काम आती है. जर्मनी के आल्प्स इलाके में ऐसे पेड़ हैं. लेकिन लकड़ी मिलने से लेकर वायलिन तैयार होने तक कई बार बरसों लग जाते हैं. मंथन में जानिए कैसे बनता है वायलिन.
साथ ही ले चलेंगे अमेजन घाटी में. जिस तरह भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपों में कुछ आदिवासी अपनी दुनिया में रहते हैं, उसी तरह ब्राजील की अमेजन घाटी में आवा नाम के आदिवासी रहते हैं. वैसे तो ये लोग बाहरी दुनिया से अलग थलग रहते हैं, लेकिन हाल के सालों में जंगल और जमीन के लालची लोगों ने उनकी दुनिया में सेंध लगानी शुरू कर दी है. मंथन में आवा समुदाय के सदस्यों से बातचीत कर जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या वे पुरानी दुनिया में रह पाएंगे या उनके उजड़ने का संकट करीब है.
इसके अलावा विशाल इमारतों को गिराने के तरीके पर भी होगी हमारी नजर. इसके लिए एक खास तरीका है, जिसे नियंत्रित विस्फोट कहते हैं. इसमें इमारतों के अलग अलग हिस्सों में विस्फोटक लगा कर उन्हें बहुत ही तरीके से गिराया जाता है. जर्मनी के एक फोटोग्राफर पिछले 20 साल से इन जगहों को दौरा कर रहे हैं और इन विस्फोटों को अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं. कैसा अनुभव है यह और कितना जोखिम भरा काम है जानेंगे इन फोटोग्राफर की ही जुबानी मंथन में शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.
एजेए/आईबी