भारत चीन में भरोसा बढ़ाने का समझौता
२३ अक्टूबर २०१३भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह फिलहाल चीन के दौरे पर हैं. राजधानी बीजिंग में चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने इस समझौते पर दस्तखत किए. प्रधानमंत्री के दौरे के एजेंडे में दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को मजबूत करना भी है. भारत चीनी बाजार में ज्यादा पहुंच बनाने के साथ ही अपने देश में ज्यादा चीनी निवेशकों को भी आकर्षित करना चाहता है. चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि बुधवार की मुलाकात, "भारत चीन के रिश्तों में नई गति और उत्साह भर देगी." मनमोहन बुधवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिल रहे हैं.
फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन है. कारोबार चीन की तरफ बहुत ज्यादा झुका हुआ है. विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं और करीब ढाई अरब की संयुक्त आबादी वाले दोनों पड़ोसी देशों ने 2015 तक आपसी कारोबार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. पिछले साल आपसी कारोबार 61.5 अरब डॉलर था. दोनों देशों के रिश्तों पर आधी सदी पुराने सीमा विवादों का साया है जिसकी वजह से 1962 में एक जंग भी हो चुकी है. इसे सुलझाने के लिए हुए दर्जनों बार से ज्यादा की बातचीत मोटे तौर पर नाकाम ही रही है. इसी वजह से इस साल दोनों देशों के बीच लद्दाख में करीब तीन हफ्ते तक गतिरोध भी बना रहा.
भारत का कहना है कि हिमालय के क्षेत्र में चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय सीमा में कई किलोमीटर तक अंदर चले आए. उधर चीन ने इस बात से साफ इनकार किया कि उसके सैनिकों ने चीनी क्षेत्र के अलावा कहीं और कदम रखा है. इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए दोनों देशों ने बुधवार को एक समझौते पर दस्तखत किए. इस समझौते के मुताबिक दोनों देश आपसी संवाद को बढ़ाने के लिए सीमा पर कई कदम उठाएंगे. दोनों पक्षों की समय समय पर बैठकें होंगी. विवादों से बचने के लिए सीमा पर कुछ खास जगहों की निशानदेही की गई है. इसके अलावा दोनों संयुक्त रूप से तस्करी को रोकने के लिए भी काम करेंगे. दोनों देशों के गश्ती दल एक दूसरे को उकसाने से बचेंगे और विवादित इलाकों में एक दूसरे के गश्ती दलों का पीछा नहीं करेंगे. यह विवादित इलाके वो हैं जहां, "वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों के बीच आपसी सहमति नहीं है."
समझौते पर दस्तखत के बाद इसके बारे में मनमोहन सिंह ने कहा, "यह हमारी सीमाओं पर शांति, स्थिरता और पूर्वानुमान सुनिश्चित करेगा." चीन, भारत के उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा करता है. जबकि भारत का कहना है कि बीजिंग ने अक्साई चीन पठार के इलाके में उसकी 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है.
एनआर/ओएसजे (एपी)