भारत की सस्ती दवा से बायर को सिरदर्द
६ मई २०१२भारत में गुर्दे और जिगर के कैंसर की सस्ती दवा बनाने की कोशिश से जर्मन कंपनी बायर ने काफी नाराज है. यह दवा पर अब तक बायर कंपनी की बौद्धिक संपत्ति रही है. दवा महंगी होने के कारण यह आम लोगों की पहुंच के बाहर रही है. भारत के पेटेंट दफ्तर ने बायर की इस दवा की नकल कर देश में बेहद सस्ती दवा बनाने की अनुमति दी है. भारत के पेटेंट दफ्तर ने मार्च में बायर की दवा के दाम को "जरूरत से बहुत ज्यादा" बताया और साथ ही कंपनी को आदेश दिए कि वह भारत की कंपनी नाटको फार्मा को इसे बनाने के लिए अनिवार्य लाइसेंस दे. बायर ने अब इस पर नाराजगी जताई है.
बायर के प्रवक्ता आलोक प्रधान ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएफपी को ईमेल के भेजे गए एक बयान में कहा, "हम लगातार अपने बौद्धिक संपदा के अधिकारों को बचाने की कोशिश करते रहेंगे. यह हमारे लिए बेहद जरूरी है ताकि हम मरीजों तक नई दवाएं पहुंचा सकें." प्रधान ने अपने ईमेल में भारत के पेटेंट दफ्तर पर नाराजगी जताते हुए कहा, "पेटेंट दफ्तर द्वारा दिए गए आदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट के तरीकों को खराब कर रहे हैं और दवाओं पर होने वाली रिसर्च के लिए खतरा बन रहे हैं."
बायर ने शुक्रवार को भारत के बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड में शिकायत दर्ज कराई है. अभी इस बारे में कोई जानकारे नहीं मिली है कि बायर की अपील पर सुनवाई कब होगी. दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि उनके लिए दवाओं पर पेटेंट होना जरूरी है ताकि वह दवा की कीमत से सालों तक उसे बनाने में हुई रिसर्च में आए खर्च की भरपाई की सके.
वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) के ट्रिप्स या ट्रेड रिलेटेड इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राइट्स समझौते के तहत अनिवार्य लाइसेंस की मदद से सरकारें जरूरी दवाओं की कीमत पर काबू रख सकती हैं. भारत द्वारा मार्च में लिया गए फैसले से पहली बार ऐसा हुआ कि किसी पेटेंट दवा को अनिवार्य लाइसेंस लेने के लिए कहा गया.
भारत में 2005 तक दवाइयों को पेटेंट करने की अनुमति नहीं थी. लेकिन 2005 से डब्ल्यूटीओ के नए नियमों के तहत दवाइयां पेटेंट होने लगीं और इनके दाम भी बढ़ने लगे. अब पेटेंट दफ्तर के नए आदेश के अनुसार नाटको फार्मा बायर को केवल छह प्रतिशत रॉयल्टी देगी. नाटको इस दवा को 8,800 रुपये के दाम पर बेचेगी, जबकि बायर इसे देश में 2,80,000 के दाम पर बेचती आई है, यानी नाटको को नए दाम से करीब तीस गुना ज्यादा. पेटेंट अधिकारी पीएच कुरियन का कहना है कि बायर द्वारा तय किए गए दाम अधिकतर भारतीय मरीजों की पहुंच की बाहर हैं. जानकारों का मन्ना है कि बायर की दवा पर अनिवार्य लाइसेंस का फैसला एक उदाहरण बन सकता है ऑर भविष्य में इसी तरह की अन्य अनिवार्य दवाओं पर भी लागू हो सकता है और जीवन रक्षक दवाएं असल कीमत से बहुत ही कम दाम पर उपलब्ध हो सकेंगी.
आईबी, ओएसजे (एएफपी)