फिलीपींस में खत्म होती मछलियां
२५ अक्टूबर २०१३सुबह चार बजे ही सीलोने के मछुआरे काम पर निकल पड़ते हैं. जाल डाल कर मछलियों के फंसने का इंतजार करते हैं. पर सूरज निकलते ही उन्हें लौट जाना पड़ता है. तीन घंटे में जितनी मछलियां हाथ आईं, उतने से ही काम चलाना पड़ता है. आसपास की दुकानों में इन्हें बेच कर वे गुजारा चलाते हैं. कम मछलियों के कारण सीलोने के मछुआरे परेशान हैं. बिक्री से उन्हें इतने कम पैसे मिलते हैं कि वे रोज का खर्च भी नहीं चला पाते. सिर्फ इतनी कमाई होती है कि नाव और दूसरी चीजों का किराया दिया जा सके, पर निजी खर्च पूरा नहीं पड़ता.
सीलोने गांव वैरडे आइलैंड पैसेज पर बसा है. फिलीपींस के उत्तरी हिस्से में करीब 100 किलोमीटर लंबा जलमार्ग है. यह सैकड़ों जीव जंतुओं का बसेरा है. इस इलाके में मछलियों की 1,000 प्रजातियां रहती हैं और मूंगे की 300. लेकिन जलवायु परिवर्तन के साथ यहां का भी हाल बुरा हो रहा है. तापमान बढ़ रहा है और समुद्र का जलस्तर ऊंचा हो रहा है.
इसके अलावा वैरडे आइलैंड पैसेज के लोगों को जरूरत से ज्यादा मछली मारने का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है. आठ साल पहले जहां घर हुआ करते थे, वहां आज पानी है. लोग यहां रहना चाहते हैं. सुरक्षा के लिए उन्होंने अब हजारों मैनग्रोव के पेड़ भी लगाए हैं ताकि वे तूफान से बच सकें. और अब ये पेड़ आमदनी का जरिया भी बन रहे हैं. जो पर्यटक संरक्षण का तरीका देखने के लिए इलाके का दौरा करना चाहें, उन्हें यहां के लोग किराये पर नाव भी देते हैं.
यहां के लोग साथ मिलकर काम करने की एहमियत समझ रहे हैं. एक निवासी ने कहा, "अगर हम खुद अपनी मदद नहीं करेंगे, तो दूसरे भी हमारी मदद नहीं करेंगे. इसलिए हमें टीम की तरह मिल कर काम करना होगा." फिलीपींस सरकार ने क्लाइमेट चेंज कमीशन बनाया है. राज्य के गवर्नर अलफोंसो उमाली जूनियर भी कमीशन में शामिल हैं. वे किसी तबाही से बचने की तैयारी की बात करते हैं लेकिन साथ ही उस पर काबू भी पाना चाहते हैं, "क्लाइमेट चेंज कमीशन ने काफी बार दखल दिया है. वह योजना बनाने के लिए सलाह देती है. हमने सभी पक्षों को जमा किया और स्थिति से निबटने पर चर्चा की."
यह जगह राजधानी मनीला से ज्यादा दूर नहीं है. मनीला से घंटे भर की दूरी पर एक बंदरगाह शहर है कालाटागान. यहां व्यावसायिक तरीके से मछली मारने का काम होता है. मछुआरे आने वाले दिनों में भी यहां मछली मारने का काम जारी रखना चाहते हैं. इसलिए यहां भी मछलियों को बचाए रखना जरूरी है. कई बार की चर्चा के बाद मछुआरों और अधिकारियों में तय हुआ कि एक सीमित समय के लिये यहां मछली मारने पर रोक लगे. सीलोने गांव और पड़ोसी शहर कालाटागान दोनों जगह के लोगों के पास एक दूसरे से सीखने के लिए बहुत कुछ है. जलवायु परिवर्तन पर रोक और जैव विविधता को बचाए रखने के लिए उनकी छोटी छोटी पहलकदमियों की जरूरत है.
रिपोर्टः माबेल गुंडलाख/अनवर अशरफ
संपादनः ईशा भाटिया