चेर्नोबिल का नया कवच
५ अगस्त २०१३सैकड़ों मजदूर दिन रात काम कर रहे हैं. यहां काम करने के लिए कई देशों से लोग बुलाए गए हैं. इनमें यूक्रेन, तुर्की, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इटली, फिलीपींस और अजरबायजान जैसे देश शामिल हैं. पहली नजर में तो यह किसी सामान्य इमारत के बनने की जगह जैसा ही लगता है लेकिन अगर आप करीब से देखेंगे तो पहले सबके गले में विकिरण को नापने वाला यंत्र नजर आएगा. दुनिया भर में परमाणु विकिरण के बाद कुख्यात चेर्नोबिल को ढंकने की कोशिश हो रही है.
चेर्नोबिल के बंद हो चुके परमाणु बिजली घर को सुरक्षा कवच से ढंकने का काम तो चल रहा है लेकिन अभी भी इसके जानलेवा होने का खतरा बना हुआ है. ऐसी परिस्थितियों के लिए हर किसी के पास एक सांस लेने वाला मास्क भी रखा गया है.
निर्माण की अनोखी जगह
चेर्नोबिल के रिएक्टर के नजदीक अब रेडियोधर्मिता उतनी नहीं जितनी 1986 में हादसे के वक्त थी. हालांकि अब भी यह विकिरण की अधिकतम सुरक्षित मात्रा से काफी ज्यादा है. हर मजदूर को यहां महीने में ज्यादा से ज्यादा 15 दिन काम पर लगाया जाता है. फुटबॉल के आठ विशाल मैदान जितनी जगह में कई मीटर की गहराई तक रेडियोधर्मी तत्व से प्रभावित जमीन खोद कर वहां की मिट्टी निकाली जा रही है. जिस इलाके में रक्षा कवच लगाया जाना है, वहां की जमीन को कंक्रीट की एक मोटी परत से ढका जा रहा है.
पुरानी दीवारों के पास काम करने वाले मजदूर विकिरण की बहुत ऊंची मात्रा के संपर्क में आते हैं. इसलिए एक बार में उन्हें दो से तीन घंटे ही काम कराया जाता है.
100 साल के लिए उपाय
अब तक जानकारों ने पुराने कवच को तोड़ कर हटाने की योजना तो बना ली है लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा. परियोजना के चीफ इंजीनियर विक्टर सालिसेसकी का कहना है, "कवच की अस्थिर संरचना को तोड़ने और नए कवच को बनाने के लिए पैसा तो यूक्रेनी खुद ही जुटाएंगे." ऐसे में यह काम कब होगा, यह देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा. निर्माण के लिए नया पिरामिड जैसा कवच बनाने से लेकर रिएक्टर को जमीन की गहराई में दफन करने तक के प्रस्ताव आए हैं. आखिर में इंजीनियर एक चंद्राकार स्टील की संरचना बनाने पर सहमत हुए जिसकी ऊंचाई करीब 100 मीटर होगी. नया रक्षा कवच करीब 100 साल तक चलेगा.
अंतरराष्ट्रीय दाताओं की जरूरत
चेर्नोबिल हादसे के बाद पैसा जुटाना कितना मुश्किल है यह नोर्बर्ट मोलितोर जानते हैं. उन्होंने 2011 में एक कांफ्रेंस बुलाने में मदद की. इस कांफ्रेंस के जरिए उन्होंने दुनिया भर से करीब 75 करोड़ यूरो जुटाए. जानकार अभी यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि चेर्नोबिल समस्या कब हल हो पाएगी. मोलितोर का अनुमान है कि इसके लिए अरबों यूरो की जरूरत होगी. राजनेता इतनी बड़ी योजना के लिए आर्थिक लिहाज से नहीं सोच रहे. नए कवच के लिए पैसा तो आएगा क्योंकि पुराना कवाच किसी भी वक्त गिर सकता है. 2015 तक नया कवच बना लेना होगा, इसके बाद यूक्रेनी सरकार को इसके रखरखाव की जिम्मेदारी संभालनी होगी. उसके लिए पैसा कहां से आएगा, यह अभी तक तय नहीं है. अब तक दान देनेवालों ने सिर्फ निर्माण की जिम्मेदारी उठाने की बात कही है.
रिपोर्टः ऑयगेन थाइसे, मार्कियान ओस्टापशुक/एनआर
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन