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तेलंगाना बंद से ट्रेन सेवा बुरी तरह प्रभावित

१ मार्च २०११

आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में अलग राज्य की मांग का आंदोलन फिर जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है. हैदराबाद में सैकड़ों लोगों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की. ट्रेन सेवा पर असर.

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तस्वीर: UNI India

प्रदर्शनकारियों में तेलंगाना राष्ट्र समिति, तेलगुदेशम पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय लोगों के शामिल होने की भी रिपोर्टें हैं. नालगोंडा, वारंगल, महबूबनगर और हैदराबाद में ट्रेन सेवा प्रभावित हुई है. दक्षिणी क्षेत्र में प्रवेश करने वाली अधिकतर ट्रेनें तेलंगाना से होकर जाती हैं. लंबी दूरी की 23 ट्रेनों के अलावा हैदराबाद में स्थानीय रेल सेवा पर भी असर पड़ा है.

बंद का नेतृत्व तेलंगाना जॉइंट एक्शन कमेटी कर रही है. उसने बंद को पल्ले पल्ले पट्टाला पायकी नाम दिया है जिसका अर्थ है हर गांव रेल की पटरियों पर. कमेटी ने सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों से आग्रह किया है कि जो व्यक्ति भी रेल की पटरियों के नजदीक रहता है उसे सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक वहां बैठना है ताकि ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हो.

तेलगुदेशम पार्टी के नेताओं को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे सिकन्दराबाद रेलवे स्टेशन पर धरना दे रहे थे. टीडीपी विधायक पी वेणुगोपालाचार्य ने बताया, "हमारी मंशा लोगों की मुश्किलों को बढ़ाना नहीं है. हम सिर्फ केंद्र सरकार को संदेश भेजना चाहते हैं कि उसे अलग तेलंगाना राज्य बनाना चाहिए."

वैसे तेलंगाना के लिए आंदोलन में कुछ क्षेत्रीय पार्टियों में आरोप प्रत्यारोप भी लग रहे हैं. के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति ने चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह तेलंगाना के गठन के लिए गंभीर नहीं है.

पुलिस और रेलवे अधिकारियों को शक है कि प्रदर्शनकारी पटरियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि अगर उन्हें रेल संपत्ति या फिर यात्रियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा बढ़ा दी है.

तेलंगाना इलाके में लंबे समय से आंध्र प्रदेश से अलग राज्य की मांग रही है और हाल के सालों में उसे लेकर आंदोलन तेज हुआ. पहले केंद्र सरकार ने अलग राज्य के गठन के लिए रजामंदी दे दी लेकिन फिर विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले को देखते हुए उसने यह मामला श्रीकृष्ण समिति को सौंप दिया. समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है जिसमें 6 विकल्प सुझाए गए हैं. अब यह केंद्र सरकार को तय करना है कि वह इसमें से कौन सा विकल्प अपनाती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार

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