तेलंगाना पर सर्वदलीय बैठक में टीआरएस और बीजेपी नहीं
३ जनवरी २०११तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का कहना है कि यह बैठक तेलंगाना के मुद्दे पर जानबूझ कर मतभेद पैदा करने की कोशिश है. बीजेपी ने भी गुरुवार को गृह मंत्री पी चिदंबरम की तरफ से दिल्ली में बुलाई जाने वाली इस बैठक में हिस्सा न लेने का फैसला किया है.
हैदराबाद में टीआरएस के मुखिया के चंद्रशेखर राव ने पत्रकारों से कहा, "गृह मंत्री को एक पार्टी से एक प्रतिनिधि बुलाना चाहिए था और उनसे राय ली जाती. लेकिन हर पार्टी से दो प्रतिनिधि बुलाने का मतलब है कि मतभेद पैदा करने की कोशिश की जा रही है."
कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) जैसे राजनीतिक बैठक में दो प्रतिनिधि भेजेंगे ताकि एक प्रतिनिधि तेलंगाना क्षेत्र से और दूसरा गैर तेलंगाना इलाकों से हो. राव ने कहा कि टीआरएस ने पार्टी नेताओं और पोलित ब्यूरो के नेताओं से सलाह मशविरे के बाद बैठक में न जाने का फैसला किया है और यह फैसला एकमत से किया गया है. उन्होंने कहा, "हम इस बैठक में हिस्सा नहीं लेगें क्योंकि यह मजाक है. वहां वही होगा जो 5 जनवरी 2010 को हुई बैठक में हुआ. सबने अपनी अलग राय रखी."
चंद्रशेखर राव ने कहा कि चिदंबरम ने हर पार्टी से दो प्रतिनिधि बुला कर ठीक नहीं किया है. गृह मंत्री ने तेलंगाना मुद्दे पर जस्टिस श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. यह रिपोर्ट चिदंबरम को पिछले हफ्ते ही सौंपी गई है.
चंद्रशेखर राव का कहना है कि टीआरएस "आत्म सम्मान" की खातिर अलग राज्य का निर्माण चाहती है. वह कहते हैं, "हम तेलंगाना चाहते हैं. हमारी सिर्फ यही एक मांग है कि बजट सत्र में अलग राज्य बनाने संबंधी विधेयक संसद के सामने रखा जाए."
राज्य बीजेपी अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने कहा है कि केंद्रीय नेताओं से मशविरे के बाद सर्वदलीय बैठक में हिस्सा न लेने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसी पार्टियों की बैठक बुलाने का कोई फायदा नहीं है जो इस मुद्दे पर बिल्कुल अलग अलग राय रखती हों. वह कहते हैं, "यह बैठक सिर्फ श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बुलाई गई है. बीजेपी ने कभी इस कमेटी का समर्थन नहीं किया. वह इसके खिलाफ रही है." रेड्डी का कहना है कि इस समस्या को सुलझाने का यही इकलौता तरीका है कि राज्य के बंटवारे के लिए संवैधानिक प्रक्रिया शुरू की जाए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम