तालिबान से बातचीत के लिए परिषद का ऐलान
४ सितम्बर २०१०करजई के दफ्तर से जारी बयान में उच्चस्तीय शांति परिषद को अमन की दिशा में एक अहम कदम बताया गया है. दरअसल करजई की सरकार और उसकी हिफाजत करने वाली विदेशी सेना नौ साल से चल रही लड़ाई से आजिज आ चुकी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले ही कह चुके हैं कि अगले साल से अमेरिकी फौजी अफगानिस्तान छोड़ना शुरू हो जाएंगे. बरसों चली जंग के बाद अब अंतरराष्ट्रीय बिरादरी भी तालिबान के साथ बातचीत के हक में दिख रही है.
इसी साल जून में काबुल में हुए अमन जिरगे में जिन बातों पर सहमित बनी, उसमें तालिबान से बातचीत की एक है. इसी के मुताबिक बनी शांति परिषद में अफगान समाज के सभी प्रतिनिधियों को जगह दी जाएगी. शनिवार को राष्ट्रपति भवन में करजई ने आला अधिकारियों की एक बैठक बुलाई जिसमें परिषद के सदस्यों की सूची को अंतिम रूप दिया गया. इस परिषद में पूर्व तालिबान सदस्यों और कई महिलाओं को भी रखा गया है.
उधर तालिबानी नेता अफगान सरकार की तरफ से की जाने वाली शांति कोशिशों को खारिज करते रहे हैं. तालिबान का कहना है कि करजई सरकार अमेरिकी की कठपुलती है और कोई भी शांति वार्ता अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के जाने के बाद ही हो सकती है.
हाल के दिनों में अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़े हैं. बीते मंगलवार को पांच अमेरिकी सैनिकों की मौत के बाद इस साल अफगानिस्तान में अब तक 485 सैनिक मारे गए हैं. 2009 में पूरे साले के दौरान लगभग इतने सैनिक मारे गए थे. अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के लगभग डेढ लाख सैनिक हैं जो कई साल से तालिबान से लड़ रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार