1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

टूलकिट मामले में हो सकती हैं और भी गिरफ्तारियां

१६ फ़रवरी २०२१

दिशा रवि की गिरफ्तारी की आलोचना का सामना करने के बावजूद दिल्ली पुलिस दो और ऐक्टिविस्टों को गिरफ्तार करना चाह रही है. अधिवक्ता-ऐक्टिविस्ट निकिता जैकब और ऐक्टिविस्ट शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुके हैं.

https://p.dw.com/p/3pPTb
Indien Festnahme Prozess  Umweltaktivistin Disha Ravi  Protest
तस्वीर: MANJUNATH KIRAN/AFP via Getty Images

निकिता और शांतनु दोनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्जी दी है और दोनों की अर्जियों पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. निकिता के वकील ने अदालत को बताया कि 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस की एक टीम मुंबई में उनके घर पर भी गई थी और वहां से उनके कुछ निजी कागजात और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर ली थी. उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की एक प्रति भी मांगी है क्योंकि उनका दावा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर उनके खिलाफ क्या आरोप है.

बीड जिले के रहने वाले शांतनु ने हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में अर्जी दे कर कहा है कि दिल्ली पुलिस के कर्मी पिछले तीन दिनों से जिले में हैं और इस बीच उन्होंने बिना तय प्रक्रिया का पालन किए शांतनु से संबंधित काफी सामग्री भी जब्त कर ली है. उन्होंने अदालत को यह भी बताया है कि पुलिस उनके बूढ़े माता-पिता पर भी दबाव डाल रही है. उन्होंने कुछ दिनों की अग्रिम जमानत का अनुरोध किया है ताकि वो दिल्ली आ कर अदालत के सामने अपना पक्ष रख सकें.

Indien Disha Ravi, Klimaaktivistin Fridays for Future
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गईं 22 वर्षीय पर्यावरण ऐक्टिविस्ट दिशा रवि.तस्वीर: facebook.com/disha.ravi

निकिता के अनुसार इस मामले में पुलिस जिस शिकायत पर कार्रवाई कर रही है उसे लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नामक एक संस्था ने दिल्ली में दर्ज करवाया है. पुलिस का आरोप है कि इन तीनों ने मिल कर वो "टूलकिट" नाम के उस गूगल डॉक्यूमेंट को बनाया था जिसे स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने भारत के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में अभियान शुरू करने के लिए ट्वीट किया था.

पुलिस का आरोप है कि दिशा ने संदेश भेजने वाले ऐप्प टेलीग्राम के जरिए वो डॉक्यूमेंट ग्रेटा को भेजा था. शांतनु एक इंजीनियर हैं और पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं. निकिता एक अधिवक्ता हैं और वो महाराष्ट्र और गोवा के बार कॉउंसिल से जुड़ी हुई हैं. वो एक मानवाधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं. दोनों किसान आंदोलन का भी समर्थन कर रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस का दावा है कि दोनों का संबंध पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक एक संगठन से है. पुलिस का दावा है कि इस संगठन के खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों से संबंध हैं.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी