1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में लोकलुभावन राजनीति का बोलबाला

१ अक्टूबर २०१८

जर्मनी की राजनीति में लोकलुभावन नीतियों का महत्व बढ़ता जा रहा है. एक नई स्टडी बताती है कि हर तीन में से एक मतदाता लोकलुभावन नीतियों से प्रभावित होता है. आइए जानते हैं, जर्मन मतदाता के लिए किन मुद्दों का महत्व है.

https://p.dw.com/p/35nE2
Deutschland | Rechte Demo in Chemnitz
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Hirschberger

थिंक टैंक बर्टेल्समैन फाउंडेशन और बर्लिन सोशल साइंस सेंटर की साझा स्टडी बताती है कि जर्मन राजनीति में लोकप्रियता ने अपनी पैठ बना ली है. 'पॉपुलिज्म बैरोमीटर' नाम की इस रिसर्च रिपोर्ट में लिखा है कि हर तीसरे मतदाता की सहानुभूति लोकलुभावन नीतियों से होती है, फिर चाहे वह वामपंथी हो या दक्षिणपंथी. इसी के साथ राजनीति में मध्यमार्गी रहने वाले मतदाताओं की संख्या करीब चार फीसदी घटकर 32.8 फीसदी पर आ गई है.

इस अध्ययन के लिए मई से अगस्त के बीच करीब 3400 मतदाताओं का सर्वे किया गया. सर्वे में पता चला कि लोकप्रिय राजनीति की तरफ झुकाव कई वजहों से हो रहा है, जिनमें मौजूदा सत्ता और बहुलवाद के खिलाफ विरोध और संप्रभुता की अधिक इच्छा प्रमुख तौर पर शामिल हैं.

जर्मनी का बदलता चेहरा

दिलचस्प है कि लोकप्रिय राजनीति की तरफ झुकाव रखने वाले आठ में से एक मतदाता को मध्यमार्गी माना जाता है. स्टडी बताती है कि इस तरह का ट्रेंड दक्षिणपंथी दल एएफडी (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी) के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि उसने अपनी लोकलुभावन नीतियों से मध्यमार्गी मतदाताओं को रिझाने की कोशिशें की हैं.

Infografik Populismus Deutschland EN

रिसर्च रिपोर्ट के लेखक रॉबर्ट फेरकांप और वोल्फगैंग मेर्केल कहते हैं, ''दक्षिणपंथी मतदाता एएफडी को समर्थन देते हैं क्योंकि यह दक्षिणपंथी दल है. लेकिन मध्यमार्गी मतदाताओं का झुकाव और वोट एएफडी को मिलेगा क्योंकि यह दल लोकलुभावन नीतियों की बात करता है."

सर्वे से मालूम चला है कि करीब 13 फीसदी मध्यमार्गी मतदाताओं ने अगले चुनाव में एएफडी को वोट न देने की बात से इनकार नहीं किया है. फेरकांप और मैर्केल के मुताबिक, "एएफडी की लोकलुभावन नीतियों ने मध्यमार्गी राजनीति में घुसपैठिए का काम किया है."

उनके मुताबिक, ''अगर यह माना जाए कि मध्यमार्गी मतदाता एएफडी की नीतियों की वजह से वोट देंगे तो यह अंततः दक्षिणपंथी विचारधारा को चुनना ही होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिणपंथी राजनीति में लोकप्रियता रीढ़ का काम करती है.''

ऐसा ही वामपंथी विचारधारा की तरफ झुकाव रखने वाले मतदाताओं के लिए भी कहा जा सकता है, जो मध्य वामपंथी पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) के विकल्प के तौर पर वामदलों को देख रहे हैं. अध्ययन बताता है कि जर्मन संसद बुंडेसटाग में मौजूद सभी दलों में से वाम दलों ने सफल तरीके से दक्षिणपंथी वोटरों को रिझाया है.

बवेरिया का चुनाव अहम

ऐसे में सवाल है कि क्या जर्मनी के मध्यमार्गी दलों को अब लोकप्रिय राजनीति शुरू कर देनी चाहिए? इस सवाल का जवाब चांसलर अंगेला मैर्केल के रूढ़िवादी संघ में मिल सकता है, जिसमें क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स (सीडीयू) और सहयोगी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) शामिल हैं.

पिछले साल हुए चुनावों में मिली हार के बाद सीडीयू और सीएसयू के गुटों ने ज्यादा लोकलुभावन और प्रवासी विरोधी रवैया अख्तियार कर लिया. सबसे ज्यादा प्रभाव सीएसयू में दिखा जिसकी दशकों से बवेरिया राज्य में सत्ता रही है और अक्टूबर 2018 में होने वाले चुनाव में उसे डर है कि कहीं बहुमत हाथ से न निकल जाए. इसका डर के पीछे कारण एएफडी की लोकलुभावन नीतियां और लोगों के बीच उसका बढ़ता प्रभाव है.  

हालिया पोल से मालूम चला है कि संघ के मतदाताओं का पर्यावरणविद् ग्रीन पार्टी की तरफ झुकाव हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि बवेरिया के चुनाव में ग्रीन पार्टी को करीब 17 फीसदी वोट मिलेंगे और सीएसयू के साथ गठबंधन होगा. कुछ अन्य पोल बताते हैं कि एसपीडी और एएफडी को पीछे छो़ड़कर ग्रीन पार्टी दूसरे नंबर पर रहेगी और सीडीयू/सीएसयू से मात्र 11 फीसदी पीछे रहेगी.

किन मुद्दों से रिझाया जाए मतदाताओं को

बर्टेल्समैन फाउंडेशन की स्टडी में उन प्रमुख नीति क्षेत्रों का जिक्र हैं जिन पर काम करके जर्मन राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझा सकते और मध्यमार्गी मूल्यों के प्रति ईमानदार भी रह सकते हैं. 

मसलन, अन्य यूरोपीय संघ के देशों के उलट, यूरोप में एकीकरण की योजना और यूरोपीय संघ की राजनीति में जर्मनी की मजबूत भूमिका से वोटरों का दिल जीता जाता रहा है. इसमें लोकलुभाव नीतियों से समर्थक वोटर भी शामिल हैं. दक्षिणपंथी दल एएफडी को छोड़कर, सभी पार्टियों को यूरोप के लिए खड़े होने का फायदा मिल सकता है. 

स्टडी बताती है कि यूरोप के एकीकरण की चर्चा से मतदाताओं में सकारात्मक संदेश जाएगा और प्रमुख तौर पर मध्यमार्गी मतदाता को रिझाने में मदद मिलेगी. हालांकि सबसे असरदार तरीका होगा यदि सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए जिसमें वित्तीय संसाधनों के पुनर्वितरण और आवासीय मुद्दों को सुझाने पर चर्चा शामिल हो.

मैर्केल कहते हैं कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से बंट रहे लोगों के बीच सामाजिक मुद्दों को उठाना बेहतर रहेगा. अगर मौजूदा सत्ताधारी इन पर काम नहीं करेंगे तो लोकप्रियता की राजनीति कर रहे दूसरे दल इसे खूब भुनाएंगे.  

डेविड मार्टिन/वीसी

मजेदार नामों वाली जर्मनी की पार्टियां

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें