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चुपके से विदा हुए श्वार्जनेगर

२९ दिसम्बर २०१०

कैलिफोर्निया के गवर्नर की कुर्सी पर ऑर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने उस हॉलीवुड स्टार की तरह कदम रखा जो भ्रष्टाचारियों को शहर से बाहर निकालने का भरोसा जनता को देता है. 7 साल बाद मुश्किलों में फंसे राज्य की कमान चुपके से छोड़ी.

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तस्वीर: DW

कैलिफोर्निया के गवर्नर पद से श्वार्जनेगर की विदाई किसी हॉलीवुड स्टार के अंदाज में नहीं हुई ना तो वहां कोई रेत का बवंडर उठ रहा था और ना ही कोई एसयूवी अपने इस रैम्बो को दर्शकों से दूर ले जा रही थी.

तूफान है तो आवाम के मन में जो बदहाली और बुरे दौर से गुजर रही है. कभी अमेरिका के सबसे धनी और ज्यादा आबादी वाला राज्य रहा कैलिफोर्निया इस वक्त परेशानी, दुविधा और संकट में घिरा है. आर्थिक स्थिति, संकट दूर करने के लिए उठाए गए कदमों की शुरुआत से भी बुरे दौर में पहुंच चुकी है.

Kampf gegen Klimawandel in den USA Flash-Galerie
तस्वीर: Picture-alliance/dpa

गवर्नर की कुर्सी से हटने के बाद पूर्व एक्शन हीरो श्वार्जनेगर क्या करेंगे ये फिलहाल कोई नहीं जानता. हो सकता है कि वो फिल्मों में वापस लौटें या फिर कोई कारोबार शुरू करें. पर एक बात तय है कि अब ये चर्चा पूरी तरह बंद हो चुकी है कि पूर्व मिस्टर यूनिवर्स एक दिन राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में होंगे क्योंकि अब ये होना नामुमकिन सा है. इससे आसान ये हो सकता है कि फिल्मों में उनकी भूमिका के लिए वो आस्कर अवॉर्ड जीत लें.

63 साल के श्वार्जनेगर के खाते में गवर्नर के रूप में कुछ ही कामयाबियां हैं. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के उलट उन्होंने ऐसी नीतियों पर चलना पसंद किया जिससे कि उनका राज्य पर्यावरण की दिशा में काम करने वालों में अगुवा साबित हुआ. कैलिफोर्निया के लाचार राजनीतिक तंत्र को सुदृढ़ और सक्रिय बनाने का उनका वादा पूरा नहीं हो सका और न ही वो कैलिफोर्निया की माली हालत को सुधार के रास्ते पर ले जा सके.

Arnold Schwarzenegger Besuch Irak Truppen Flash-Galerie
तस्वीर: AP

उनका दौर इतना खराब साबित हुआ कि उनके मुकाबले जनता ने उनके विरोधी उम्मीदवार को चुनाव में जीत दिला दी. नर्म, उदार, अनुभवी और दो बार के गवर्नर रहे डेमोक्रैट जेरी ब्राउन ने सोमवार को कैलिफोर्निया की जिम्मेदारी संभाली. 2003 में श्वार्जनेगर ने कैलिफोर्निया के गवर्नर की कुर्सी संभाली डेमोक्रैटिक पार्टी के गेरे डेविस को हरा कर.

ये वो दौर था जब राज्य डॉटकॉम की सफलता के बुलबुले फुलाने के लिए आतुर था पर उसके सिर पर 2.36 करोड़ डॉलर के बजट घाटे का बोझ भी सवार था. राज्य के मुश्किलों का एक दौर मौजूदा उर्जा संकट के रूप में भी सामने थी. ऐसे दौर में श्वार्जनेगर की जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक नेता के रूप में लोगों के सामने रखा लेकिन वो अपनी शुरूआती कामयाबी को आगे के दौर में कायम नहीं रख सके.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़

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