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चुनाव और विकास के बीच रेल बजट

२६ फ़रवरी २०१३

भारतीय रेलवे नेटवर्क में मुनाफे की उम्मीद और सुरक्षा के सवालों के बीच आने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए पवन कुमार बंसल ने भारत का रेल बजट पेश किया. माल ढोना महंगा हुआ.

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तस्वीर: Reuters

बंसल ने अपना पहला रेल बजट ऐसे मौके पर पेश किया है, जब कुछ दिनों पहले ही वह यात्री किराया बढ़ा चुके हैं. रेल से माल ढोना अब पांच फीसदी महंगा हो जाएगा लेकिन सवारियों के लिए कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है.

पहली बार सामान ढोने को ईंधन के बढ़ते हुए दाम से जोड़ा गया है. सरकारी कंपनियों के बढ़ते घाटे को पाटने के लिए बंसल के मुताबिक यह जरूरी था. भारत के आम बजट में रेल बजट को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इसका अपना विशाल बजट होता है. बंसल ने बजट में सेवा, आराम, सफाई और सुरक्षा को बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि देश में और रेल तंत्र बनाए जाएंगे. उन्होंने संसद में बजट पेश करते हुए कहा, "साल 2013-14 के लिए 633.63 अरब रुपये के निवेश की योजना है."

भारत में ब्रिटिश काल की रेल व्यवस्था है और पहली रेल 1853 में चली थी. लेकिन आजादी के बाद से रेलवे नेटवर्क पर ज्यादा काम नहीं हो पाया है. यात्रियों को होने वाली मुश्किलों के अलावा आए दिन बिना फाटक वाली गुमटियों पर लोगों और जानवरों के कटने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. हर साल करीब 15,000 लोग रेल से कट कर जान गंवा बैठते हैं. बंसल ने वादा किया है कि बिना गार्ड वाली गुमटियों की संख्या कम की जाएगी. उन्होंने कहा, "हम बिना दुर्घटना वाली स्थिति में पहुंचना चाहते हैं."

उन्होंने भारतीय हाथियों का भी जिक्र किया और कहा कि इन भद्र विशाल जानवरों की सुरक्षा जरूरी है. हर साल भारत में कई हाथी ट्रेनों से कट जाते हैं. पिछले 17 साल में यह पहला मौका है, जब कांग्रेस के किसी मंत्री ने रेल बजट पेश किया है. हालांकि 2004 से कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार केंद्र में शासन कर रही है, लेकिन आम तौर पर रेल विभाग किसी सहयोगी पार्टी को दिया जाता रहा है.

विपक्ष का कहना है कि रेल बजट के बाद आम जनता पर इसका बोझ पड़ सकता है. बीजेपी के अलावा गठबंधन सरकार में शामिल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी बजट पर नाखुशी जताई है. बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि यह ज्यादा "रायबरेली बजट" है. उनका दावा है, "यह रेल बजट नहीं, रायबरेली बजट है. इस बजट को पूरे देश को ध्यान में रख कर नहीं तैयार किया गया है." उनके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को खुश करने के लिए बंसल ने रायबरेली को काफी फायदा पहुंचाने की कोशिश की है. सोनिया रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतती हैं.

बीजेपी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसे मामूली बजट बताते हुए कहा कि यह पूरी तरह से चुनाव को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि भले ही यात्री किराया न बढ़ाया गया हो लेकिन इसका आखिरी असर आम आदमी पर ही पड़ेगा.

भारत में रेल बजट को आम बजट का ट्रेलर कहा जाता है, जिसके आधार पर इस बात के कयास लगाए जाते हैं कि आम बजट में क्या चीजें आ सकती हैं. रेल बजट देखने के बाद यह बात पक्की दिख रही है कि आम बजट भी नीरस और आम भारतीय को लुभाने वाला होगा. भारत में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं.

एजेए/एएम (पीटीआई, एएफपी)