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चीन से दोस्ती बढ़ाता अमेरिका

५ नवम्बर २०१३

जासूसी और मध्यपूर्व की नीतियों को लेकर सहयोगी देशों के साथ हाल के महीनों में अमेरिका के रिश्ते भले ही थोड़े मुश्किल में आ गए हों लेकिन इस बीच चीन के साथ ओबामा प्रशासन बड़ी सरलता से दोस्ती आगे बढ़ा रहा है.

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तस्वीर: Reuters

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यभार संभालने के एक साल बाद वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से लेकर उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार की महत्वाकांक्षा तक कई मुद्दों पर वो सहयोग बढ़ता देख रहे हैं. वे यह भी मान रहे हैं कि अगर दोनों देशों के रिश्ते में कोई ऊंच नीच हुई तो आपसी सैनिक संपर्क उसे दूर करने में मददगार साबित होगा.

आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका की नजर चीन में 9-12 नवंबर को होने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन पर है, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति शी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को और ज्यादा खोलने की योजना सामने रखेंगे. शी के प्रशासन ने द्विपक्षीय निवेश के समझौतों पर और शंघाई में एक फ्री ट्रेड जोन बनाने के लिए बातचीत शुरू कर यह साफ कर दिया है कि चीन निवेश और कारोबार की बाधाओं को दूर करने जा रहा है. अमेरिका के साथ कारोबार में 300 अरब के व्यापार घाटे को कम करने में यह दोनों कदम चीन के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

मानवाधिकार पर जस का तस

हालांकि ऐसा नहीं कि सब कुछ अच्छा ही है मानवाधिकार जैसे मुद्दे चीन अमेरिकी रिश्तों की गांठ अभी भी बने हुए हैं. पश्चिमी जानकार और चीन के सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह चिंता है कि शी जिनपिंग के शासन में मानवाधिकार का रिकॉर्ड और खराब होगा. उन्हें आशंका है कि वकीलों, कार्यकर्ताओं और इंटरनेट पर राय जाहिर करने वालों पर कार्रवाइयां और बढ़ेंगीं. इसके अलावा चीन के अपने पड़ोसियों के साथ चले आ रहे समुद्री सीमा क्षेत्र के विवादों का मसला भी है, जो असहमतियों को हवा दे रहा है. इन सबके बाद भी दोनों देशों के अधिकारी कह रहे हैं कि "बड़े देशों के रिश्तों के नए मॉडल" के प्रति वो प्रतिबद्ध हैं. यह नया मॉडल चीन ने ही इजाद किया है. अमेरिकी विदेश विभाग के एशियाई मामलों से जुड़े शीर्ष राजनयिक डेनियल रसेल का कहना है, "पृथ्वी पर उभरते, मजबूत, स्थायी और समृद्ध चीन के साथ उदार, लोकतांत्रिक, मुक्त बाजार, नियम आधारित तंत्र वाले अमेरिका दोनों के लिए जगह है."

उत्तर कोरिया पर

अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से सुधरते रिश्तों का सबसे ठोस उदाहरण उत्तर कोरिया के मामले में दिया है. अमेरिका लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि चीन उत्तर कोरिया पर लगाम लगाने में मदद करे. कोरियाई युद्ध के समय से ही चीन उत्तर कोरिया का सहयोगी देश है. उत्तर कोरिया ने 2013 में परमाणु परीक्षण किए और यह धमकी भी दी कि इसका इस्तेमाल वह दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी ठिकानों पर हमले के लिए करेगा. ओबामा के उप सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है, "हमने देखा है कि उत्तर कोरियाई लोगों पर चीन ने आगे बढ़ कर दबाव बनाया है. उकसावे का चक्र जिस तरह से चल रहा था, वह उनको भी चिंता में डाल रहा है क्योंकि इससे इलाके में अस्थिरता है और आखिरकार यह उनके भी हित में नहीं है." लंबे समय से उत्तर कोरिया पर दबाव न बनाने के आरोप झेल रहे चीन ने पिछले महीने कुछ सामानों की एक सूची जारी की है जिनके उत्तर कोरिया को निर्यात पर पाबंदी है. इन सामानों का इस्तेमाल महाविनाश के हथियार बनाने में हो सकता है.

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शी जिनपिंग की नीतियों पर अमेरिका की नजरतस्वीर: Reuters

उत्तर कोरिया के मामले में अमेरिका के साथ मतभेदों को दूर करने का मसला पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की शी जिनपिंग से कैलिफोर्निया में हुई एक अनौपचारिक मुलाकात के बाद सामने आया. यह मुलाकात मुख्य रूप से भरोसा बहाल करने के लिए ही आयोजित की गई थी.

शी की योजना का इंतजार

चीन अमेरिका के रिश्ते पहले भी गर्म और ठंडे होते रहे हैं. विश्लेषक यह चेतावनी दे रहे है कि शी का एजेंडा क्या है, यह इस हफ्ते कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में ही साफ हो पाएगा. आर्थिक नीतियों पर अमेरिका उम्मीद की जमीन देख रहा है. शी 1990 से पार्टी को कारोबारियों के लिए मुफीद बनाने के लिए काम करते हैं. शंघाई, और तटवर्ती प्रांतों फुइजान, झाईजांग में पार्टी और सरकार के नेता के रूप में काम करते हुए उनकी नीतियों से सब वाकिफ रहे हैं.

एनआर/एएम (रॉयटर्स)

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