क्या बीजेपी को मिलेगी रथयात्रा से मंजिल
२१ दिसम्बर २०१८बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की प्रदेश शाखा के सामने 42 लोकसभा सीटों में से आधी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हार कर सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल की अहमियत काफी बढ़ गई है. वह उत्तर भारत के राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई पूर्वी भारत से करना चाहती है.
रथयात्रा
आम चुनाव के लिए वोटरों की नब्ज पकड़ने के मकसद से बीजेपी ने राज्य के 42 लोकसभा क्षेत्रों में रथयात्रा निकालने की जो महात्वाकांक्षी योजना बनाई थी वह प्रशासनिक और कानूनी दाव-पेंच में फंस गई. तीन अलग-अलग इलाकों से निकलने वाली इन रथयात्राओं के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को मौजूद रहना था. यही नहीं, सात दिसंबर को कूचबिहार से शुरू होने वाली पहली रथयात्रा के दौरान ही 16 दिसंबर को सिलीगुड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली भी होनी थी. लेकिन अदालती गतिरोध में रथ के पहिए फंसने की वजह से यात्रा तो अधर में लटकी ही, मोदी का दौरा भी रद्द हो गया.
अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने बीजेपी को और जोरदार झटका दिया है. उसके बाद पार्टी को बंगाल में अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ रहा है. अमित शाह ने बंगाल में पार्टी नेतृत्व को कम से कम 22 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया है. वैसे, प्रदेश नेताओं ने अति उत्साह में यह लक्ष्य बढ़ा कर 25-26 कर दिया था. लेकिन अब सब कुछ खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. पार्टी के एक नेता निजी बातचीत में मानते हैं कि पहले रथयात्रा रद्द होने और उसके बाद विधानसभा चुनावों के नतीजों ने पूरी रणनीति पर दोबारा विचार करने पर मजबूर कर दिया है.
कानूनी गतिरोध
बीजेपी की रथयात्रा सात दिसंबर को कूचबिहार से शुरू होनी थी. दूसरी व तीसरी रथयात्रा क्रमशः काकद्वीप व बीरभूम से नौ और 14 दिसंबर को होनी थी. लेकिन कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का अंदेशा जताते हुए इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया था. उसके बाद बीजेपी ने अदालत की शरण ली थी. लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भी बीजेपी को पश्चिम बंगाल में रथयात्रा की अनुमति नहीं दी और इस पर नौ जनवरी तक रोक लगा दी थी.
बाद में इस फैसले के खिलाफ पार्टी ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने इस मामले में कथित लापरवाही के लिए सरकार की जम कर खिंचाई करते हुए और उसे 12 दिसंबर तक इस मुद्दे पर बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक कर गतिरोध दूर करने की सलाह दी थी. खंडपीठ ने एकल पीठ की ओर से रथयात्रा पर नौ जनवरी तक लगी रोक को खारिज कर दिया था. खंडपीठ ने कहा था कि 12 दिसंबर तक राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक बीजेपी के तीन-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर सहमति बनाने का प्रयास करें.
बीजेपी से भी रथयात्रा की नई तारीखों पर प्रशासन के साथ बातचीत करने को कहा गया था. लेकिन सरकार ने एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का अंदेशा जताते हुए एक बार फिर इसकी अनुमति से देने से इंकार कर दिया. आखिर में कलकत्ता हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने इस यात्रा की सशर्त अनुमति तो दे दी है. लेकिन ममता बनर्जी सरकार इस फैसले को भी चुनौती देने का मन बना रही है.
प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजुमदार बताते हैं, "लोकतंत्र बचाओ रैली के तहत कूचबिहार से 22, दक्षिण 24-परगना जिले के काकद्वीप से 24 और बीरभूम जिले के तारापीठ मंदिर से 26 दिसंबर को लोकतंत्र बचाओ रैली निकाली जाएगी.”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा के लिए उसकी खिंचाई करते हुए इसे एक राजनीतिक नौटंकी करार दिया है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता कहती हैं, "यह रथ यात्रा नहीं बल्कि रावण यात्रा है. यह एक पंचसितारा होटल है.” दूसरी ओर, विश्व हिंदू परिषद ने ममता की टिप्पणी के लिए उनकी खिंचाई करते हुए कहा है कि दोहरे रवैए वाली मुख्यमंत्री से किसी बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है. संगठन के एक प्रवक्ता जिष्णु बसु कहते हैं, "ममता हिंदू भावनाओं को कुचलने पर आमादा हैं. उन्होंने अल्पसंख्यकों के साथ नमाज पढ़ी है और मुस्लिम त्योहारों के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए दुर्गा पूजा पर बंदिशें लगाने का प्रयास कर चुकी हैं.”
राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बीजेपी की इन रथयात्राओं का मकसद बंगाल के विभिन्न इलाकों में खासकर हिंदुओं को अपने पाले में करना है. इसके तहत असम व झारखंड की सीमा से लगे उन इलाकों पर खास ध्यान दिया जाना है जहां बीते साल हुए पंचायत चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था. लेकिन तृणमूल कांग्रेस किसी भी कीमत पर बीजेपी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती. एक पर्यवेक्षक सोमेन मंडल कहते हैं, "बीजेपी रथयात्रा पर सवार होकर यहां 22 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहती है. लेकिन राज्य सरकार के रवैए की वजह से फिलहाल इस यात्रा की राह पथरीली ही नजर आ रही है.”